Friday, May 17, 2024

इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ब्रांच मुज़फ़्फ़रनगर ने पेरिफेरल वैस्कुलर डिसीज़ एवं किडनी ट्रांस्प्लांट यानी गुर्दा प्रत्यारोपण विषय पर सीएमई का आयोजन

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मुजफ्फरनगर। हाईवे स्थित वेलविस्टा होटल व रिसोर्ट में एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष डॉ हेमन्त शर्मा ने की व संचालन सचिव डॉ यश अग्रवाल ने किया जिसमें इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली के वैस्कुलर एवम् एंडोवैस्कुलर सर्जरी विशेषज्ञ डॉ नितिन अंचल ने रीसेंट ट्रेंड्स इन वैस्कुलर एंड एंडोवैस्कुलर मैनेजमेंट इन पेरिफेरल वैस्कुलर डिसीज़ तथा गुर्दा रोग एवम् गुर्दा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ गौरव सागर ने क्रासिंग बैरियर्स इन किडनी ट्रांस्प्लांट विषय पर व्याख्यान दिया l

 

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डॉ नितिन अंचल ने बताया कि पेरिफेरलवास्कुर डिजीस यानी पीवीडी का मतलब है कि आपकी रक्त वाहिकाओं की संरचना में बदलाव । उदाहरण के लिए, धमनीकाठिन्य से प्लाक का निर्माण आपकी रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण कर सकता है। पीवीडी के अतिरिक्त कारणों में अत्यधिक चोटें, असामान्य संरचना वाली मांसपेशियां या स्नायुबंधन, रक्त वाहिका सूजन और संक्रमण शामिल हैं। पीवीडी के मुख्य कारण धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल हो सकते हैं अतः बचाव के लिए इनको नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है।

 

डॉ गौरव सागर ने बताया कि सीकेडी (क्रॉनिक किडनी डिसीज़) यानी लंबे समय से चल रहा गुर्दे का रोग जिसके कारण गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं.गुर्दे खून से बेकार और नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों और अतिरिक्त तरल को छानते हैं। गुर्दों के काम बंद करने पर यह खराब पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज व उच्च रक्त चाप इसके मुख्य करको में हैं। बचाव के लिए इनको नियंत्रित रखना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए नियमित डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांस्प्लांट की ज़रूरत होती है। किडनी ट्रांसप्लांटेशन का मतलब एक जीवित या हाल ही में मृत व्यक्ति से स्वस्थ किडनी को निकालना है और फिर इसे खराब किडनी के अंतिम चरण से जूझ रहे व्यक्ति में स्थानांतरित करना है। नई किडनी को किसी मृत व्यक्ति या दान देने के इच्छुक जीवित स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से निकाला जाता है। उन्होंने बताया कि कई स्टडी में देखा गया है कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले व्यक्ति डायलिसिस पर चल रहे मरीज से ज्यादा जीते हैं।बाद में प्रश्नोत्तर काल में विषय विशेषज्ञों ने उपस्थित चिकित्सकों की शंकाओं का समाधान भी किया ।

 

सभा में काफ़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे जिसमें मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष डॉ ईश्वर चंद्रा, मीडिया प्रभारी डॉ सुनील सिंघल, डॉ अशोक कुमार, डॉ एस सी गुप्ता, डॉ आर एन गंगल, डॉ रमेश माहेश्वरी ,डॉ प्रदीप कुमार, डॉ डीएस मलिक, डॉ डी पी सिंह, डॉ राकेश खुराना, डॉ सुभाष बाल्यान, डॉ यू सी गौड़ ,डॉ सत्यम राजवंशी , डॉ आर बी सिंह , डॉ राजबीर सिंह मलिक ,डॉ अशोक शर्मा, डॉ संजीव जैन, डॉ दीपक गोयल , डॉ मनीष अग्रवाल ,डॉ मनोज काबरा,डॉ रवींद्र जैन, डॉ अविनाश रमानी, डॉ सुनील चौधरी, डॉ पंकज सिंह, डॉ अभिषेक यादव , डॉ अभिषेक गौड़, डॉ सुनील गुप्ता, डॉ तुषार गुप्ता ,डॉ अनिल राठी,डॉ अजय सिंघल, डॉ कुलदीप सिंह चौहान, डॉ नीरज काबरा, डॉ सुजीत सिंह , डॉ अनिल कुमार, डॉ गौरव निर्वाल, डॉ आशीष बाल्यान, डॉ रूप किशोर गुप्ता, डॉ. पी के चाँद, डॉ संजीव सिंह, डॉ विनय गर्ग, डॉ विकास गर्ग, डॉ विवेक अरोरा, डॉ राजीव काम्बोज, डॉ मनु गर्ग, डॉ ललिता माहेश्वरी, डॉ नीना रमानी ,डॉ दीप शिखा जैन, डॉ रश्मि गोयल , ,डॉ रेणु अग्रवाल, डॉ अनीता अग्रवाल, डॉ. अनीता शर्मा, डॉ शैफ़ाली सिंह आदि उपस्थित थे।

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