प्रयागराज। 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन अब समाप्त हो चुका है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ इस ऐतिहासिक आयोजन का समापन हुआ। इस दौरान 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अद्वितीय आयोजन की सफलता पर जानकारी साझा करते हुए इसे विश्व इतिहास में अभूतपूर्व बताया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि मानवता का महायज्ञ, आस्था, एकता और समता का महापर्व महाकुंभ, प्रयागराज महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ अपनी पूर्णाहुति की ओर अग्रसर है।
उन्होंने आगे लिखा कि“13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से प्रारंभ महाकुंभ, प्रयागराज में 26 फरवरी महाशिवरात्रि की तिथि तक कुल 45 दिनों में 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया। यह विश्व इतिहास में अभूतपूर्व और अविस्मरणीय है।”
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हालांकि, ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने महाकुंभ आयोजन को सरकारी कुंभ करार दिया। उन्होंने कहा कि असली कुंभ तो पूर्णिमा को ही समाप्त हो चुका है। कुंभ केवल माघ महीने में ही होता है, जो पूर्णिमा के दिन समाप्त हो गया था। अब वहां जो कुछ भी चल रहा है, वह एक सरकारी कुंभ है।”
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उन्होंने आगे कहा कि माघ पूर्णिमा के दिन सभी ‘कल्पवासी’ वहां से चले गए थे, इसलिए कुंभ तभी समाप्त हो गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार ने आयोजन को लंबा खींचा, जिससे यह एक प्रशासनिक आयोजन बन गया।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने और गौ रक्षा कानून बनाने की मांग उठाई। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और सरकारों से 17 मार्च तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि 17 मार्च की शाम को हम दिल्ली में बैठक करेंगे और उसके बाद अपनी आगे की नीति तय करेंगे। गौमाता की रक्षा के लिए हम बड़ा आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं।”
महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से लाखों साधु-संत, श्रद्धालु और पर्यटक प्रयागराज पहुंचे। 66 करोड़ 21 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों ने अपने अनुयायियों के साथ कुंभ में शाही स्नान किया। कुंभ मेले के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था के लिए यूपी सरकार ने व्यापक इंतजाम किए। कई धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
प्रयागराज महाकुंभ को इस बार डिजिटल और आधुनिक तकनीकों से जोड़कर पर्यावरण हितैषी बनाने पर जोर दिया गया। मेले के दौरान अत्याधुनिक टेंट सिटी, ई-रिक्शा सेवा, 24×7 मेडिकल सुविधाएं और कुंभ ऐप जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। स्मार्ट पुलिसिंग और ड्रोन सर्विलांस के जरिए सुरक्षा को पुख्ता किया गया। इस आयोजन को ग्रीन कुंभ बनाने के लिए व्यापक स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया गया।
महाशिवरात्रि के अवसर पर अंतिम पवित्र स्नान के साथ ही कुंभ महापर्व का समापन हुआ। इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की आराधना करते हुए संगम में डुबकी लगाई।
अब कुंभ का अगला सबसे बड़ा आयोजन हरिद्वार में 2028 में होगा, जबकि प्रयागराज में 2036 में फिर से महाकुंभ का भव्य आयोजन होगा।