Wednesday, April 24, 2024

तमिलनाडु : 134 फीट ऊंची ‘कलम’ की प्रतिमा बनाने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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नई दिल्ली। तमिलनाडु के मरीना बीच पर 134 फीट ऊंची ‘कलम’ की प्रतिमा बनाने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। राज्य के मदुरै के निवासी के.के. रमेश द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : “विशेषज्ञों की राय है कि हाल के वर्षो में तमिलनाडु में आई विनाशकारी बाढ़ समुद्र के किनारे अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों और अनैतिक अतिचार का परिणाम है। इसलिए समुद्र तट पर प्रतिमा का निर्माण करने से रोका जाए।”

याचिका में कहा गया है कि जिस क्षेत्र में उत्तरदाताओं ने निर्माण गतिविधियों को अंजाम दिया है, वह ज्वारीय प्रभाव वाले समुद्र का हिस्सा है और उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां सीआरजेड अधिसूचना के प्रावधानों के तहत सख्ती से प्रतिबंधित हैं।

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अधिवक्ता सी.आर. जया सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, “इन क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों का प्राकृतिक जल प्रवाह पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर प्राकृतिक आपदाएं हो सकती हैं।”

याचिका में भारत के सभी राज्यों के सभी तटीय क्षेत्रों में किसी भी नश्वर अवशेष को दफनाने पर रोक लगाने और मरीना बीच पर 134 फीट ऊंची ‘कलम’ प्रतिमा के निर्माण के तमिलनाडु सरकार के फैसले को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका कहा गया है, राज्य सरकार ने कलैगनार करुणानिधि स्मारक के पास मरीना बीच के अंदर 134 फीट ऊंची ‘कलम’ की प्रतिमा के निर्माण की अनुमति के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया। राज्य सरकार के सभी विभागों ने त्वरित तरीके से मंजूरी प्रमाणपत्र देकर कानूनों और अदालती आदेशों का उल्लंघन किया।

याचिका में कहा गया है कि चेन्नई के पास पूरे शहर में स्मारक बनाने के लिए पर्याप्त जमीन है, लेकिन समुद्र तट पर 80 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले स्मारक का निर्माण मरीना पारिस्थितिकी तंत्र और समुद्री जीवन को प्रभावित करेगा।

याचिका में कहा गया है, उस स्मारक पर मछुआरा संघों और समुदायों द्वारा भी आपत्ति जताई गई है। उन्होंने राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है। कलम के आकार के स्मारक तक समुद्र के ऊपर 360 मीटर लंबे पुल के माध्यम से पहुंचा जा सकेगा और यह समुद्र, पारिस्थितिकी तंत्र, पर प्रभाव डालेगा। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है और इससे दीर्घकालिक नुकसान होगा।

याचिका में सभी राज्यों के तटीय क्षेत्रों में किसी भी निर्माण कार्य या वैकल्पिक कार्य या किसी भी विकास कार्य पर रोक लगाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

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