प्रयागराज – इलाहाबाद उच्च न्यायालय वाराणसी जिला अदालत के एएसआई सर्वेक्षण के आदेश को प्रभावित किए बिना पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने और गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर आठ अगस्त को सुनवाई करेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने तीन अगस्त के आदेश में वाराणसी जिला जज के आदेश को को सही करार दिया था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी के पूजा की नियमित पूजा की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाली राखी सिंह व अन्य की तरफ से बुधवार को दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ सुनवाई करेगी।
जनहित याचिका में कहा गया है कि श्रृंगार गौरी मामले में जब तक वाराणसी की अदालत का फैसला नहीं आ जाता तब तक परिसर में गैर हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए और ज्ञानवापी परिसर में मिले हिंदू प्रतीक चिन्हों को संरक्षित रखने का आदेश दिया जाए। कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि इस तरह की व्यवस्था की जाए जिसने ज्ञानवापी में एएसआई सर्वेक्षण का काम प्रभावित न हो।
जनहित याचिका में कहा गया है कि वाराणसी में श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर (वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद) के सदियों पुराने अवशेषों को बचाना है। दावा किया गया है कि विवादित स्थल (सेटलमेंट प्लॉट नंबर 9130 वार्ड और दशाश्वमेघ वाराणसी) पर एक भव्य मंदिर हुआ करता था, जहां ब्रह्माण्ड के भगवान शिव ने स्वयं लाखों ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
वर्षों पहले इस मंदिर को वर्ष 1669 में क्रूर इस्लामी शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया। कहा गया है कि उक्त मंदिर को नष्ट करने के बाद मुसलमानों ने अनधिकृत रूप से मंदिर परिसर में अतिक्रमण किया और एक सुपर संरचना बनाई, जिसे वे कथित ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं।