नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ‘परीक्षा पे परीक्षा’ पर चर्चा की शुरूआत करते हुए छात्रों से कहा कि शायद इतनी ठंड में पहली बार परीक्षा पर चर्चा हो रही है। परीक्षा पे चर्चा फरवरी में करते हैं लेकिन विचार आया कि आप सबको 26 जनवरी का भी लाभ मिले। दरअसल इस कार्यक्रम में शामिल कई छात्र कर्तव्य पथ पर परेड देखने भी गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है, देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा ले रहे हैं और मुझे यह परीक्षा देने में आनंद आता है।
मदुरई केंद्रीय विद्यालय की छात्रा अश्विनी ने प्रधानमंत्री से परीक्षा के तनाव, दबाव और परीक्षा में अधिक अंक लाने के प्रेशर पर प्रश्न पूछा। इसी प्रकार अन्य छात्रों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यदि परीक्षा में उनके अच्छे अंक न आए तो वह अपने परिवार के प्रेशर को कैसे डील करें। प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि जैसे क्रिकेट में गुगली होता है यानी निशाना एक होता है और दिशा दूसरी होती है। प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि आप पहली ही बॉल में मुझे आउट करना चाहती हो।
प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए कहा कि परिवार के लोगों की आपसे अपेक्षा होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें कुछ गलत भी नहीं है। हालांकि पीएम मोदी ने कहा कि यदि परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। अभिभावकों को कई बार लगता है कि जब सोसाइटी में जाएंगे तो बच्चों के बारे में क्या बताएंगे, कभी-कभी माता-पिता छात्रों की स्थिति को जानने के बावजूद भी अपने सोशल स्टेटस को ध्यान में रखते हुए बच्चों के बारे में समाज में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और फिर घर में आकर बच्चों से ऐसी ही अपेक्षा करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के ऊपर लगातार अच्छे, और अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बनाया जाता है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि क्रिकेट का मैच देखते हुए आपने देखा होगा कि जब कोई खिलाड़ी खेलने के लिए आता है तो पूरा स्टेडियम चौका, छक्का चिल्लाता है। क्या खिलाड़ी दर्शकों की डिमांड के ऊपर चौके और छक्के लगाता है। नहीं वह वैसा नहीं करता। कोई कितना ही चिल्लाता रहे खिलाड़ी का ध्यान बॉल पर होता है और जैसी बॉल आती है वैसा ही खेलता है न कि दर्शकों के कहने पर। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र भी अपनी स्टडी पर फोकस करें किसी दबाव में न आएं।
प्रधानमंत्री ने छात्रों को आत्मनिरीक्षण करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप की क्षमता बहुत अधिक है और आप अपने आप का सही मूल्यांकन नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा मां-बाप को बच्चों पर पढ़ाई के लिए अधिक दबाव नहीं बनाना चाहिए लेकिन बच्चों को भी अपनी क्षमता से कम नहीं करना चाहिए।
हिमाचल की आरुषि ठाकुर ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यह बात समझ नहीं आती कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई कहां से शुरू करूं, मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैंने जो कुछ भी पढ़ा था मैं वह सब भूल गई हूं। कई अन्य छात्रों ने भी प्रधानमंत्री से पढ़ाई एवं परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट को लेकर प्रश्न पूछे।
प्रधानमंत्री ने कहा केवल परीक्षा के लिए ही नहीं बल्कि जीवन में भी हमें टाइम मैनेजमेंट के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों को कहा कि अक्सर काम का ढेर इसलिए हो जाता है क्योंकि जो काम करना था वह हमने सही समय पर नहीं किया। प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह दी कि विश्लेषण करना चाहिए कि हमें किस विषय को कितनी देर और कब पढ़ना है। उन्होंने कहा कि हमें जो विषय पसंद हैं या आते हैं हम उन्हीं में ज्यादा समय देते हैं और उन्हीं में खोए रहते हैं। उन्होंने कहा कि फ्रेश माइंड के साथ सबसे पहले उस विषय को पढ़ने का प्रयास करें जिसमें आपको कठिनाई आती है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि यदि आप घर में अपनी मां के कार्य करने की शैली को देखें तो उससे भी आप टाइम मैनेजमेंट को सीख सकते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि पढ़ाई के लिए समय को सही तरीके से डिसट्रीब्यूट कीजिए।