कन्नौज। दो जून की रात भाजपा सांसद समेत भाजपाइयों पर पुलिसकर्मियों ने मारपीट करने के आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामला हाईप्रोफ़ाइल होने के कारण कानपुर जोन के एडीजी आलोक कुमार ने एसआईटी का गठन कर जांच के आदेश दिए थे, लेकिन जब टीम जांच करने कन्नौज पहुंची तो पिटाई का आरोप लगाने वाले पुलिसकर्मी उन्हें नहीं मिले। बताया गया कि वह लोग छुट्टी पर गए हैं।
मंडी समिति चौकी प्रभारी हाकिम सिंह ने भाजपा सांसद सुब्रत पाठक समेत 52 लोगों पर मारपीट के आरोप लगाते हुए सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में 3 दरोगा और 4 सिपाही घायल होने का दावा करते हुए उनकी मेडिकल जांच कराई गई थी। जिसके आधार पर कन्नौज पुलिस ने सांसद समेत उनके समर्थकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। जब यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी द्वारा इस मामले को मुद्दा बनाया गया तो घटना सुर्खियों में आ गई। मामला भाजपा सांसद से जुड़ा होने के कारण कानपुर जोन के एडीजी आलोक कुमार ने कानपुर देहात जनपद के एडीशनल एसपी राजेश कुमार पांडेय के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया।
घटना की जांच करने के लिए एक दिन पहले कन्नौज पहुंची एसआईटी के सदस्यों ने मंडी समिति पहुंच कर घटनास्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने सदर कोतवाली पहुंच कर प्रभारी निरीक्षक अजय कुमार अवस्थी से मुलाकात की। टीम ने एफआईआर की कॉपी और पुलिस कर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट आदि दस्तावेज जुटाए। जांच करने पहुंचे एसआईटी के सदस्य व अकबरपुर थाना प्रभारी अनिल कुमार ने उन पुलिस कर्मियों से मुलाकात करनी चाही, जिन्होंने पिटाई में घायल होने के आरोप लगाए थे। लेकिन उनकी मुलाकात उन पुलिस कर्मियों से नहीं हो सकी। पुलिस अधिकारियों द्वारा टीम को बताया गया कि वे पुलिस कर्मी अलग-अलग कारणों से छुट्टी पर गए हुए हैं।
पुलिस की पिटाई के आरोपों को भाजपा सांसद सुब्रत पाठक लगातार गलत बता रहे हैं। उनका दावा है कि 2024 के चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह की साजिश करवा रही है। सपा की इस साजिश में पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि जांच में सब स्थिति साफ हो जाएगी। यदि आरोप सही साबित हो जाते हैं तो वो जेल भी जाने को तैयार हैं।
घटना की निष्पक्ष जांच और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग करने के लिए 5 जून को पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर कन्नौज आई थीं। वह सबसे पहले घटनास्थल मंडी समिति पहुंचे थे, जहां उन्हें कोई पुलिस कर्मी नहीं मिला। इसके बाद वह सदर कोतवाली पहुंचे थे। वहां भी कोई पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था। बाद में जब वह पुलिस कार्यालय पहुचे तो वहां भी एसपी कुंवर अनुपम सिंह से मुलाकात नहीं हो सकी थी।