नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए मतदान 1 जून को होना है। 30 मई की शाम इस चरण के चुनाव के लिए प्रचार अभियान थम गया। इसके ठीक बाद पीएम नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी पहुंच गए। उनका 1 जून तक यहीं रहकर ध्यान करने का कार्यक्रम तय है। वह कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान साधना कर रहे हैं। महासागर के बीच उभरी इस विशाल चट्टान पर आसीन होकर वह ध्यान में लीन हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान पीएम मोदी सबसे ज्यादा जनसभाएं, रोड शो और साक्षात्कार देने वाले नेता हैं। 2019 के मुकाबले पीएम मोदी ने इस लोकसभा चुनाव में 64 ज्यादा रैलियां की हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान 16 मार्च से 30 मई के बीच पीएम मोदी ने 75 दिन में 206 जनसभाएं तथा रोड शो किए और 80 साक्षात्कार दिए। औसतन उन्होंने हर दिन करीब तीन सार्वजनिक कार्यक्रम किए। उन्होंने भीषण गर्मी के बीच 150 घंटे बिताए और मीडिया के एक हजार से ज्यादा प्रश्नों के उत्तर दिए।
पीएम मोदी का कन्याकुमारी में चुनाव प्रचार अभियान के रूकने के बाद प्रवास 2014 और 2019 के उनके चुनाव अभियान के बाद के कार्यक्रम की याद ताजा करा गया। दरअसल, इस बार पीएम मोदी ने भारत के जिस हिस्से से चुनाव प्रचार प्रारंभ किया था, वहीं पहुंचकर एक तरह से इसे समाप्त किया है। पीएम मोदी ने आचार संहिता लागू होने के बाद अपनी पहली चुनावी रैली दक्षिण में की थी और अंतिम रैली उत्तर भारत के पंजाब में की और इसके बाद वह दक्षिण भारत पहुंच गए। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम ने जहां से अपना प्रचार अभियान प्रारंभ किया, उसका समापन भी वहीं से किया।
पीएम मोदी ने इस चुनाव प्रचार अभियान के दौरान यह जनता को बता भी दिया था कि वह 2014 में जनता के लिए आशा, 2019 में जनता के लिए विश्वास और इस बार 2024 में जनता के लिए मोदी की गारंटी लेकर आए हैं। ऐसा नहीं है कि 2024 में चुनाव अभियान के खत्म होने के बाद पीएम मोदी आध्यात्मिक यात्रा पर गए हों। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में लोकसभा चुनाव का प्रचार समाप्त होने के बाद केदारनाथ गए थे, जहां उन्होंने रुद्र गुफा में बैठकर ध्यान किया था। 2014 में पीएम मोदी शिवाजी के प्रतापगढ़ किले में गए थे। हालांकि, पीएम मोदी ने जहां-जहां का भी दौरा किया, वहां पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त उछाल देखने को मिला।
पीएम मोदी कन्याकुमारी के जिस विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान करने पहुंचे हैं। वहां देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी कभी पहुंचकर दो घंटे का ध्यान लगाया था। पीएम मोदी ने इस जगह को अपनी ध्यान साधना के लिए इसलिए चुना क्योंकि जो स्थान सारनाथ का गौतम बुद्ध के जीवन में रखता है। वही स्थान स्वामी विवेकानंद के जीवन में इस स्थल का है। यहीं से स्वामी विवेकानंद ने विकसित भारत का सपना देखा था और आज जब पीएम इस कल्पना को पंख देने की कोशिश में लगे हैं और 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने की सोच रहे हैं तो उनके लिए जनता को संदेश देने का इससे बेहतर स्थान और क्या हो सकता है।
अब पीएम मोदी के तीन चुनाव और उसके पश्चात की तीन यात्राओं पर गौर करें तो पता चलेगा कि वह हमारी पुरातन संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना को किस तरह से जन-जन के मन में जागृत करने की कोशिश कर रहे हैं। सनातन के प्रबल ध्वजवाहक छत्रपति शिवाजी के प्रतापगढ़ किले से शुरू पीएम के चुनाव प्रचार अभियान के पश्चात की यह यात्रा चुनाव-दर-चुनाव केदारनाथ से होते हुए कन्याकुमारी तक पहुंची है। मतलब पीएम मोदी ने एक साथ सनातन के तीन मजबूत स्तंभ शिवाजी महाराज, आदि गुरु शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद के जरिए देश को एक सूत्र में बांधने की पूरी कोशिश की है। अब इन जगहों का आध्यात्मिक महत्व देखें तो पता चलेगा। शिवाजी महाराज के इस प्रतापगढ़ किले में महादेव मंदिर और भवानी मंदिर है। शिवाजी महाराज एकलिंग भगवान के बड़े भक्त थे। पीएम मोदी की 2019 के चुनाव प्रचार अभियान के बाद केदारनाथ की यात्रा को देखें तो यह क्षेत्र तीर्थ क्षेत्र है और बाबा केदार को द्वादश ज्योतिर्लिंग में स्थान प्राप्त है। इसके बाद कन्याकुमारी का विवेकानंद रॉक मेमोरियल जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े रहकर भगवान शिव के लिए उपासना की थी।