नई दिल्ली। शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने वाले महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित दो विधेयकों को मंजूरी देने का अनुरोध किया है। दोनों विधेयक तीन साल पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में पारित किए गए थे। चतुर्वेदी ने एक एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आज रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर मैंने राष्ट्रपति मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे उन विधेयकों को मंजूरी देने का अनुरोध किया है, जिन्हें उद्धव बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में राज्य विधानसभा में मंजूरी दी गई थी और तब से उनकी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।” प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, “आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ क्रूरतापूर्वक यौन उत्पीड़न और हत्या के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
यह मामला हमें 2012 के निर्भया मामले के बाद से एक और कठोर चेतावनी देता है कि हम अब भी कितना असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।” उन्होंने पत्र में लिखा, “अनेक महिलाओं द्वारा महसूस किया गया दर्द, भय और गुस्सा जायज है और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने तथा न्याय तक पहुंच में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है। एक साथी महिला के रूप में, मुझे विश्वास है कि आप भी इस भावना को साझा करती हैं और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को ठोस कार्रवाई में बदलने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को जानती हैं।” पत्र में आगे लिखा गया है कि ऐसे मामले और हाथरस तथा कठुआ में हुए मामले, और दूसरे कई ऐसे मामलों को मिलाकर देश में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 51 अपराध होते हैं। इसने देश की कानूनी-व्यवस्था में महिलाओं के भरोसे को हिला दिया है।
करोड़ों महिलाओं का दर्द, डर और गुस्सा जायज है और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। उन्होंने पत्र में लिखा, “मैं आपका ध्यान ‘शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक, 2020’ और ‘महाराष्ट्र शक्ति आपराधिक कानून, 2020’ के कार्यान्वयन के तरफ आकर्षित करना चाहती हूं, जिसे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान, 2021 में महाराष्ट्र के विधानमंडल में व्यापक चर्चा और बहस के बाद दोनों सदनों में पारित किया गया था। यह विधेयक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई थी और कड़ी सजा तथा त्वरित अभियोजन की बात कही गई थी, लेकिन तब से यह राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “इस विधेयक को मंजूरी देने में देरी से महाराष्ट्र के नागरिकों में चिंताएं बढ़ गई हैं, खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामले देखे गए हैं। आज जब पूरा देश रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है, जो सुरक्षा और देखभाल का प्रतीक है, तो मुझे इस मामले पर आपका ध्यान आकर्षित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण लगता है।” दिसंबर 2021 में राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र संशोधन विधेयक, 2020 को मंजूरी दी थी, जिसका लक्ष्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाना है। इस कानून में बलात्कार के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। साथ ही महिलाओं पर एसिड हमलों और बच्चों पर यौन हमलों के लिए न्यूनतम सजा बढ़ाई गई है। शिकायत दर्ज होने की तारीख से जांच पूरी करने के लिए 30 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है।