मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय था मखाना-भारत एवं विदेशों में तेजी से उभरता विशिष्ट खाद्य। इस अवसर पर विभाग के कार्यक्रम संयोजक प्रो. रमाकांत ने सभी उपस्थित अतिथियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) विद्यनाथ झा, वनस्पति विज्ञान विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार का विशेष रूप से स्वागत किया।
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कार्यक्रम की शुरुआत में विभाग के शिक्षकों प्रो. विजय मलिक, प्रो. रमाकांत, प्रो. अशोक कुमार, प्रो. सचिन कुमार, प्रो. सुशील कुमार एवं डॉ. ईश्वर सिंह ने मिलकर प्रो. विद्यनाथ झा को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र भेंट कर उनका अभिनंदन किया।
प्रोफेसर विद्यनाथ झा ने अपने अत्यंत समृद्ध एवं शोधपूर्ण व्याख्यान में मखाना (Fox Nut/Euryale ferox) के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सबसे पहले मखाना की ऐतिहासिक उत्पत्ति, जैविक वर्गीकरण एवं पारिस्थितिक अनुकूलन की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने बताया कि मखाना मुख्यतः बिहार, विशेषकर मिथिला क्षेत्र, की एक पारंपरिक जलीय फसल है।
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जो अब वैश्विक मंच पर “सुपरफूड” के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। प्रो. झा ने मखाना की पौष्टिकता का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स एवं अमीनो एसिड्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जिससे यह न केवल एक स्वास्थ्यवर्धक आहार बनता है, बल्कि यह हृदय रोग, मधुमेह एवं मोटापे जैसी बीमारियों के नियंत्रण में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। उन्होंने मखाना की औषधीय उपयोगिता पर वैदिक कालीन संदर्भों सहित विस्तारपूर्वक चर्चा की और बताया कि कैसे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में इसे पंचमेवा का हिस्सा माना गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा में मखाना को “सात्त्विक आहार” की श्रेणी में रखते हुए उन्होंने इसके आध्यात्मिक एवं आरोग्य संबंधी पहलुओं की भी व्याख्या की।
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प्रो. झा ने मखाना की खेती की पारंपरिक एवं वैज्ञानिक विधियों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार इसकी खेती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकती है। उन्होंने मखाना की रोपाई, फूलन एवं फसल की कटाई की तकनीक, बीज संग्रहण, भंडारण, तथा प्रसंस्करण के उन्नत तरीकों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही, मखाना की रोस्टिंग प्रक्रिया, जो इसकी गुणवत्ता और स्वाद दोनों को प्रभावित करती है, का वैज्ञानिक पक्ष भी समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि मखाना अब केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसके निर्यात में वृद्धि हो रही है, जहाँ इसे हेल्दी स्नैक के रूप में अत्यंत लोकप्रियता प्राप्त हो रही है।
प्रो. झा के व्याख्यान के उपरांत विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे, जिनमें मखाना के व्यवसायीकरण, इसके अनुसंधान की संभावनाएं, एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रयोगों के प्रति विशेष रुचि दिखाई गई। प्रो. झा ने सभी प्रश्नों के उत्तर न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दिए, बल्कि अपने अनुभवों से जुड़े रोचक प्रसंगों के माध्यम से विषय को और जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम का संयोजन प्रो. रमाकांत ने किया एवं इसकी अध्यक्षता विभागाध्यक्ष एवं विज्ञान संकाय की डीन प्रोफेसर (श्रीमती) जय माला ने की। डॉ. सुशील कुमार ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया जबकि डॉ. ईश्वर सिंह ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए व्याख्यान को अत्यंत उपयोगी, प्रासंगिक एवं प्रेरणादायी बताया।