शामली : संयुक्त किसान मोर्चा, किसान एकता केन्द्र के सैकडों कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने जिले में लगाये जा रहे स्मार्ट मीटरों के विरोध में कलक्ट्रेट में जमकर नारेबाजी कर घेराव किया। उन्होने धरना देते हुए राज्य में बिजली के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
किसान मोर्चा के सैकडों पदाधिकारी व कार्यकर्मा जमकर नारेबाजी करते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे। जहां उन्होने धरनो प्रदर्शन करते हुए शहीद-ए आजम भगत सिंह की जयंती मनाई। उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम डीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि जिले में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना, जिले के छोटे बिजली उपभोक्ताओं के घरेलू और ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन का मनमाने ढंग से लोड बढ़ा देने, बिजली बिलों में अनियमितताओं, बिजली की महेंगी दरों और प्रदेश के बिजली तंत्र के निजीकरण को लेकर लोग चिंतित है। शामली जिले समेत पूरे उत्तर-प्रदेश का बिजली तंत्र जर्जर हालत में है।
बिजली आपूर्ति की कोई विश्वसनीयता नहीं है। स्थायी कर्मचारियों की भारी कमी है। इन बुनियादी समस्याओं से आँख फेरकर प्रदेश सरकार स्मार्ट मीटर लगाने पर 72 हजार करोड़ रुपये की विराट धनराशि खर्च करने की तैयारी कर रही है। यह रकम किसी न किसी तरीके से अंततः प्रदेश की गरीब जनता से ही वसूली जानी है और कुछ निजी कम्पनियों की जेब में जानी है। उन्होने मांग की कि शामली जिले में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना तुरन्त रद्द की जाये।
पिछले सालों में ग्रामीण घरों और ट्यूबवेलों के कनेक्शन पर जो लोड बढ़ाया गया है, वह वापस लिया जाये। विजली विभाग बिलों की अनियमितताओं को गांव स्तर पर कैम्प लगाकर दूर करे। बिजली बुनियादी जरूरत है। बिजली चोरी के बहाने किसानों-मजदूरों, छोटे दुकानदारों का कनेक्शन काटकर उनका उत्पीड़न करना बन्द किया जाये। पिछले दिनों जो कनेक्शन काटे गये हैं उन्हें बहाल किया जाये। बिजली की खस्ताहाल लाइनों का नवीनीकरण किया जाये।
छोटे दुकानदारों को व्यावसायिक के बजाय घरेलु कनेक्शन दिया जाये। घरेलु और ट्यूबवेल के बिजली उपभोक्ताओं से बिलों के नाम पर कनेक्शन चार्ज आदि की वसूली बन्द हो। बिजली खपत के अलावा कोई अन्य चार्ज न लिया जाये। पंजाब राज्य की तरह सभी घरेलू बिजली कनेक्शनों पर हर महीना शुरुआती 300 यूनिट पूरी तरह मुफ्त दी जाये।
पंजाब की तरह ट्यूबवेलों के बिजली कनेक्शन पर किसानों से कोई बिल न वसूला जाये। बिजली विभाग में कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित की जाये तथा सभी कर्मचारी स्थायी हों। इसके अलावा भाकियू प्रधान ने भी डीएम को ज्ञापन देकर स्मार्ट मीटरों का विरोध किया है।