मुजफ्फरनगर। राणा स्टील फैक्ट्री में पांच दिसंबर को जीएसटी टीम पर हमले में पूर्व सांसद कादिर राणा की दो बेटियों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने जीएसटी अधिकारियों के बयान और जांच के बाद दोनों पर हमले की धारा बढ़ा दी थी। आज दोनों बेटियां कोर्ट में पेश हुई।
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राणा स्टील फैक्ट्री में जीएसटी टीम पर हमले और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में पूर्व सांसद कादिर राणा की बेटी सादिया और सारिया ने आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सेशन कोर्ट से दोनों को अंतरिम जमानत मिल गई। नियमित जमानत पर 16 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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उल्लेखनीय है कि वहलना चौक स्थित राणा स्टील फैक्ट्री में पांच दिसंबर को हुए प्रकरण में पूर्व सांसद कादिर राणा की बेटियों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने जीएसटी अधिकारियों के बयान और जांच के बाद दोनों पर हमले की धारा बढ़ा दी थी।
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शुक्रवार को दोनों ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया। बचाव पक्ष की ओर एसीजेएम कोर्ट में दाखिल जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया। इसके बाद बचाव पक्ष ने अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-एक में दोनों का जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया। अदालत ने दोनों को अंतरिम जमानत दे दी है। नियमित जमानत पर अब 16 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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उधर, मंसूरपुर थाने के विद्युत अधिनियम के मुकदमे में पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को भी राहत मिल गई है। अदालत ने पूर्व विधायक की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। इस प्रकरण में पहले पूर्व विधायक को अंतरिम जमानत मिली थी। समयवधि पूरी हो जाने के बाद पुलिस के कड़े पहरे में पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को जिला कारागार से कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली।
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दूसरी ओर न्यायिक अभिरक्षा में मेरठ कारागार में बंद पूर्व सांसद कादिर राणा के पुत्र शाह मोहम्मद राणा को शुक्रवार को सीजेएम इंचार्ज अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नंबर-दो में पेश किया गया।
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बचाव पक्ष के अधिवक्ता नकली सिंह त्यागी व कुंवरपाल सैनी ने अदालत में आरोप लगाया कि पुलिस ने पांच दिसंबर को आरोपी की गिरफ्तारी सर्वोत्तम रोलिंग मिल के पास से दर्शाई है और मेरठ ले जाकर शाह मोहम्मद राना के साथ जीएसटी टीम एवं पुलिस ने अत्यधिक मारपीट की। इसी कारण से उनके हाथ की दो उंगलियां टूट गईं। न्यायिक अभिरक्षा में आरोपी का उपचार नहीं किया जा रहा है। चोटों के उपचार के बाद डॉक्टरी मुआयना कराना आवश्यक है।
जिसके बाद बचाव पक्ष के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने कारागार अधीक्षक को आरोपी का उपचार कराने के आदेश दिए। गिरफ्तारी के बाद शाह मोहम्मद पर बढ़ाई गई धाराओं में रिमांड नहीं दिए जाने का प्रार्थना-पत्र दिया, लेकिन अदालत ने उसे खारिज करते हुए न्यायिक रिमांड मंजूर कर लिया।