नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष का विरोध प्रदर्शन और बहिर्गमन सुर्खियों में रहा। विपक्ष ने अमेरिकी अभियोजकों द्वारा गौतम अडानी पर रिश्वत मामले में दोषारोपण और संभल हिंसा जैसे मुद्दों को शीतकालीन सत्र में उठाया। हालांकि, विपक्षी गठबंधन “इंडिया” में एकता पर सवाल तब खड़े हुए जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विरोध प्रदर्शन से दूरी बना ली।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके सहयोगियों ने संसद परिसर में “मोदी-अडानी एक हैं” और “अडानी पर जवाबदेही की मांग” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन किया। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर सरकार से अडानी मुद्दे पर जवाब देने की मांग की गई थी।
टीएमसी के सांसद समिक भट्टाचार्य ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग न लेने के पीछे कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा:”कांग्रेस जहां भी जनता के पास जाती है, वहां से उसे नकार दिया जाता है। उनकी राजनीति अब सिर्फ संसद गेट तक सीमित रह गई है।”
भट्टाचार्य ने गठबंधन में उभरती दरार को लेकर भी तंज कसा और कहा कि यह सब “ड्रामा” है। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तावित किया था, लेकिन अब टीएमसी उनके नेतृत्व में भाग नहीं ले रही है।
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इस घटनाक्रम ने सोमवार को सरकार और विपक्ष के बीच बनी सहमति पर भी पानी फेर दिया, जिसमें दोनों सदनों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया था।
इसके साथ ही, संभल में हुई हिंसा पर भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। हालांकि, इस मुद्दे पर भी टीएमसी और सपा की गैर-मौजूदगी ने विपक्ष की रणनीति को कमजोर कर दिया।
सरकार की ओर से अभी तक इन मुद्दों पर कोई ठोस बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्ष के आरोपों को “संसद ठप करने की साजिश” बताया गया।