शामली: जनपद की कैराना कोतवाली क्षेत्र के कस्बा कैराना के कांधला कैराना रोड पर मंडलायुक्त के निर्देश पर अपर आयुक्त ने मीट फैक्ट्री पर छापेमारी की। मौके पर जांच-पड़ताल के दौरान वायु प्रदूषण और गंदगी का ग्राफ देख अपर आयुक्त ने संचालक को कड़ी फटकार लगाई।वही अपर आयुक्त के निर्देश पर पानी के सैंपल भी लिए गए हैं।वहीं छापेमारी से हड़कंप मचा हुआ है।जबकि सूत्रों की माने तो छापे मारी की सूचना पहले ही लीक हो गयी थी।
आप को बता दे कि जिले के कैराना कोतवाली क्षेत्र कस्बा कैराना के मोहल्ला दरबारखुर्द रेतावाला वार्ड-13 निवासी धन्नी ने सहारनपुर मंडलायुक्त से शिकायत की थी। बताया था कि नगर के कांधला रोड पर संचालित मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट फैक्ट्री) में मानकों के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है। जहां हड्डियां गलाई जाती है, जिस कारण चिमनी से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण दिनों-दिन बढ़ रहा है।तथा भू-जल भी प्रदूषित हो रहा है और लोग काला पीलिया समेत अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त ने अपर आयुक्त रमेश यादव, एसडीएम, सीओ कैराना, मुख्य चिकित्साधिकारी शामली, क्षेत्रीय अधिकारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर व मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी की टीम गठित की।जहा उन्होंने अब अपर आयुक्त ने मीट फैक्ट्री पर छापेमारी की। इस दौरान मीट फैक्ट्री में वायु प्रदूषण और दुर्गंध पर अपर आयुक्त भड़क गए। उन्होंने संचालक को फटकार लगाई।ओर वही मीट
प्लांट में दुर्गंध का आलम यह था कि बिना मास्क लगाए सांस तक नहीं लिया जा रहा था। अधिकारियों को भी मास्क लगाने पड़े। साथ ही, अपर आयुक्त ने संबंधित विभाग को सैंपल लेने के निर्देश दिए, जिस पर मीट फैक्ट्री से पानी और आसपास में लगे हैंडपंपों से सैंपल लिए गए। उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा। वहीं, अपर आयुक्त ने संचालक को फैक्ट्री का लाइसेंस दिखाने के निर्देश दिए हैं।
वही इस बारे में शिकायत करता लोगो ने कहा कि
साहब! हम कहां जाए, सांस लेना तक दूभर अपर आयुक्त की छापेमारी के दौरान शिकायतकर्ता धन्नी भी साजिद के साथ मीट फैक्ट्री में पहुंच गया था। जहां उसने फैक्ट्री संचालक के सामने ही अपर आयुक्त को सारी समस्याओं से अवगत कराया। पीड़ित ने यह भी कहा कि मीट फैक्ट्री से 80 प्रतिशत आसपास की आबादी के लोग काला पीलिया से ग्रस्त है। सांस तक लेना दूभर है। पानी पीने लायक नहीं। ऐसी स्थिति में कहां जाकर रहें। वहीं, साजिद ने अपर आयुक्त को बताया कि वह खुद कई सालों तक पीलिया से ग्रस्त रहा है। लोगों को बीमारियों ने जकड़ रखा है। इस दौरान संचालक के चेहरे की हवाइयां उड़ी रही। शिकायतकर्ता के बताने पर ही अपर आयुक्त उस स्थान पर भी पहुंचे,जहां मीट फैक्ट्री से निकलने वाली गंदगी डाली जाती है। वहां सड़क किनारे गंदगी पर भी अपर आयुक्त ने नाराजगी जताई।
वही स्थानीय सूत्रों की माने तो
छापेमारी की बात पहले लीक हुई सूचना मीट फैक्ट्री में अपर आयुक्त की छापेमारी से पहले ही सूचना संचालक तक पहुंच गई थी। यही कारण है कि फैक्ट्री में हड्डियां गलाने की मशीन बंद कर दी गई और वहां पर खामियों पर पर्दा डालने का कार्य शुरू हो गया था। यह बात उस समय उजागर भी हुई, जब कांधला रोड पर मीट फैक्ट्री की गंदगी के स्थान पर अपर आयुक्त पहुंचे, तो वहां जेसीबी मशीन लगाकर गंदगी को सड़क के किनारे से हटाते हुए पाया गया। सवाल यह है कि आखिर छापेमारी से पहले सूचना लीक कैसे हुई ? महकमे में ही कोई तो भेदी है, जो लगातार संचालक के संपर्क में हैं।
टीम के इर्द-गिर्द घूमता रहा संचालक मीट फैक्ट्री में जांच-पड़ताल के बाद अपर आयुक्त तहसील में पहुंच गए थे। जहां शिकायतकर्ता को भी बुलाया गया। इस दौरान मीट फैक्ट्री संचालक और उसका भाई टीम के पीछे-पीछे तहसील में पहुंच गया। इस दौरान
संचालक और उसका भाई अपर आयुक्त की फाइल लेकर चल रहे कर्मचारी तथा अन्य विभागों की टीम में शामिल सदस्यों के इर्द-गिर्द घूमता और उनसे बात करता नजर आया।
आप को बता दे कि
पहले भी कई बार छापेमारी हुई लेकिन इतनी कमियों के बाद बस लीपापोती होती है। मीट फेक्ट्री पर कई बार जांच टीमें भी पहुंचती रही है और सैंपल भरे जा चुके हैं। लेकिन हर बार कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित नजर आई है। अब यही कारण है कि मीट फैक्ट्री आज भी कमियों के साथ संचालन बदस्तूर जारी है।
आबादी में फैक्ट्री पर कब लगेगी रोक ? फैक्ट्री का संचालन कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच किया जा रहा है। 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद मीट फैक्ट्री पर सील भी लगी थी, लेकिन बाद में फिर संचालन की अनुमति मिल गई थी।
वही इस बारे में, अपर आयुक्त, सहारनपुर रमेश यादव
ने बताया कि मीट फैक्ट्री में शिकायत के बाद जांच की गई है। सैंपल भरवाए गए हैं और प्रदूषण विभाग को भी पत्र लिखा जाएगा। इसके अलावा आबादी में मीट फैक्ट्री की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।