गाजियाबाद। एचआईवी के बढ़ते खतरों के बीच एक सुखद बात यह है कि इलाज और जागरूकता के जरिए संक्रमित माताओं के जन्मे बच्चे संक्रमण से सुरक्षित पैदा हो रहे हैं। माताओं से यह संक्रमण बच्चों में नहीं फैला रहा है। शुरूआत में मां के संक्रमित होने की जानकारी के बाद जरूरी उपचार और काउंसिलिंग के जरिए ऐसा संभव हो रहा है। जिले में इस वर्ष 22 ऐसे बच्चे पैदा हुए हैं जिनकी माताओं को एचआईवी संक्रमण था। यह पिछले तीन चार वर्षों में से सबसे अधिक संख्या है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में एचआईवी संक्रमण के कुल 563 मामलों में 278 नए मामले आए हैं जिसमें से 34 महिलाएं भी संक्रमित मिली हैं। इनमें से 23 महिलाएं गर्भवती थीं, जिसमें से 22 ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया और एक महिला को संक्रमित बच्चा हुआ जिसको इलाज की जरूरत पड़ी। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल यादव ने बताया कि गर्भवास्था के शुरूआती दौर में एचआईवी संक्रमण की जांच कराई जाती है। शुरूआत में इसकी जानकारी मिलते हैं ही उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है।
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इसके साथ ही बच्चे के जन्म के बाद तक उनकी काउंसिलिंग होती है, जिसमें समझाया जाता है कि बच्चों को मिक्स फीडिंग ना कराएं यानी अगर स्तनपान करा रहे हैं तो सिर्फ स्तनपान कराएं अगर बाहर का दूध दे रहें तो सिर्फ वही पिलाएं। इसके अलावा माता और बच्चों को दवाएं भी दी जाती हैं। 18 महीने का होने तक चार बार एचआईवी जांच बच्चे की जांच कराई जाती है जिससे पूरी तरह बच्चे को सुरक्षित माना जा सके।