कानपुर। मौसमी गतिविधियों से एक बार फिर मौसम में बदलाव के आसार दिख रहे हैं। जिससे उत्तर भारत की पहाड़ियों में बारिश और बर्फबारी होगी। यह बारिश और बर्फबारी का दूसरा तीव्र दौर 10 से 14 मार्च के बीच पश्चिमी हिमालय के पास पहुंच सकता है। फरवरी में बारिश और बर्फबारी के दो दौर देखे गए, पहला पांच फरवरी तक चला और दूसरा 18 से 20 फरवरी के बीच। यह बातें सोमवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।
उन्होंने बताया कि असामान्य रूप से शुष्क दिसंबर और जनवरी के बाद मौसम में यह बदलाव स्वागत योग्य है। पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता जो आमतौर पर इस क्षेत्र में बर्फबारी लाती है, इन महीनों के दौरान बहुत कम थी, जिससे अधिकांश पहाड़ी राज्य सूखे हुए थे। यह दूसरा दौर लगातार दो पश्चिमी विक्षोभों से प्रेरित होगा। पहला 10 मार्च की रात को आया, जिससे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद और हिमाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हुई। 11 से 14 मार्च तक तीव्रता बढ़ने की उम्मीद है, इन क्षेत्रों में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी संभव है। इस अवधि के दौरान उत्तराखंड में भी हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की उम्मीद की जा सकती है।
आगे कहा कि उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाके पूरी तरह से अछूते नहीं रहेंगे। 13 से 14 मार्च के बीच हल्की छिटपुट बारिश का अनुमान है। इससे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना है। दिल्लीवासियों को 13 मार्च के दौरान आसमान में ज्यादातर बादल छाए रहने और बहुत हल्की बूंदाबांदी की संभावना है। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग सर्दियों के मौसम के एक और दौर के लिए तैयार रहें। हालांकि मैदानी इलाकों में कुछ बारिश हो सकती है, लेकिन बारिश का असर पहाड़ों पर अधिक महसूस किया जाएगा।