गाजियाबाद। छह दिन पहले खोड़ा थाने पहुंचे युवक को पुलिस और मीडिया के प्रयास से आखिर अपना परिवार मिल गया। युवक साहिबाबाद थानाक्षेत्र के शहीदनगर का रहने वाला निकला। भीम सिंह के बेटे ओमराम उर्फ राजू का 1993 में अपहरण हुआ था। भीम सिंह की ओर से साहिबाबाद थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। ओम उस समय मात्र सात साल का था और अपनी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था कि उसका अपहरण कर लिया गया, फिरौती के लिए एक पत्र मिला लेकिन बाद में अपहर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया। अपहर्ताओं ने उसे राजस्थान ले जाकर छोड़ दिया, जहां गांव वालों ने उसे पकड़ लिया। भेड़ बकरियां चरवाईं और यातनाएं दीं। राजू ने बताया कि राजस्थान के जिस परिवार ने उसे इतने दिनों तक बंधक बनाकर रखा, यातनाएं दीं और काम करवाया, उसी परिवार की एक बेटी ऐसी भी थी जो उसका ध्यान रखती थी, मौका पाकर चुपके से कुछ खाने को दे देती। उसने राजू को हनुमान की उपासना करने और वहां से भाग निकलने के लिए प्रेरित किया।
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परिवार राजू को यातनाएं देता था तो उस लड़की को यह सब अच्छा नहीं लगता था लेकिन वह असहाय थी और चाहकर भी राजू का खुलकर बचाव नहीं कर पाती थी। ट्रक में छिपकर पहुंचा था दिल्ली राजू को दिल्ली का एक ट्रक चालक मिला, उसने चालक को आपबीती बताई तो वह अपने साथ दिल्ली ले आया और दिल्ली से गाजियाबाद की ट्रेन में बैठा दिया। राजू गाजियाबाद स्टेशन पर उतर गया। बाहर निकला तो उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। किसी तरह वह खोड़ा थाने में पहुंचा और पुलिस को घर की पहचान बताने का प्रयास किया। पुलिस ने पूरा मामला मीडिया के साथ शेयर किया। खबर पढ़कर खोड़ा थाने में ऐसे परिवारों की लाइन लग गई जो अपनों की तलाश में थे, लेकिन राजू को देखकर बैरंग लौट गए।
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पुलिस के प्रयासों से राजू को मिला परिवार एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय ने बताया कि शहीदनगर निवासी भीम सिंह के परिवार को भी जब इस बात की भनक लगी तो खोड़ा थाने पहुंच गया। राजू को उसकी मां और बहनों ने देखते ही पहचान लिया तो राजू भी उन्हें देखते ही फफक पड़ा। परिवार वालों ने चोट का निशान और सीने पर तिल देखकर तस्दीक किया। थाने में राजू का जब उसके परिवार से मिलन हुआ तो पुलिस वाले भी भावुक हो गए। परिवार ने और राजू ने खोड़ा थाना पुलिस को इतने दिनों तक आसरा देने और परिवार तक पहुंचाने के लिए किए गए प्रयासों की न केवल सराहना की बल्कि आभार भी जताया।