Sunday, February 23, 2025

गाजियाबाद में नौ परिवारों को धोखा देने वाला राजू निकला शातिर चोर, पुलिस ने भेजा जेल

गाजियाबाद। जिस राजू को साहिबाबाद के शहीदनगर का परिवार अपना 31 साल पहले लापता हुआ बेटा मानकर खुशी मना रहा था, वह शातिर चोर निकला है। उसने पांच राज्यों के नौ परिवारों के साथ इसी तरह से छल किया है। पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज कर कोर्ट के सामने पेश किया। वहां से उसे जेल भेज दिया गया।

 

अजित पवार को बड़ी राहत, आयकर विभाग द्वारा सीज संपत्तियां मुक्त करने का आदेश

 

पुलिस की जांच में आया कि इस तरह किसी परिवार की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के पीछे उसका मकसद कुछ दिन ऐश ओ आराम से रहना होता था। जैसे ही पोल खुलने की आशंका होती थी, वैसे ही कुछ भी बहाना बनाकर निकल जाता था और दूसरे परिवार को अपने छल का शिकार बनाने की फिराक में लग जाता था।

 

देश में खुलेंगे 85 नये केन्द्रीय विद्यालय और 28 नवोदय विद्यालय, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

पुलिस ने एक सप्ताह की जांच-पड़ताल के बाद इद्रराज उर्फ राजू के रहस्य से पर्दा उठ जाने का दावा किया है। वह मूल रूप से राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के जैतसर क्षेत्र के जसद बुगिया का रहने वाला है और आठवीं फेल है। वह बचपन से ही चोरी करने लगा था। पुलिस आए दिन घर आती थी। 18 साल की उम्र तक उसके खिलाफ चोरी के 24 केस दर्ज हो चुके थे।

बांग्लादेश में हिन्दुओं का आर्तनाद और भारत सरकार की भूमिका !

 

इससे परेशान होकर पिता चुन्नी लाल ने 2005 में उसे संपत्ति से बेदखल कर घर से निकाल दिया था। चोरी की रकम से वह मौज मस्ती करता था। उसे ऐश ओ आराम से रहने की आदत हो गई थी। घर से निकाल दिए जाने के बाद उसने छल प्रपंच से ऐश ओ आराम की जिंदगी जीने की साजिश रची।

 

 

 

 

 

वह किसी भी थाने में पहुंच जाता। कहता कि उसका इसी क्षेत्र से अपहरण हुआ था। तब वह दो तीन साल का ही था, इसलिए कुछ और याद नहीं। कहीं वह 20 साल पहले अपहरण होना बताता तो कहीं 30 साल। ऐसे में पुलिस आसपास के उन लोगों को बुलाती जिनके बच्चे उस दौरान लापता हुए हों। हर जगह कोई न कोई परिवार उसे अपना लापता हुआ बेटा मानकर साथ ले जाता।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय