आज अयोध्या में श्रीराम का मंदिर अपनी पूर्णता की ओर है। गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी है, जिसकी समस्त सनातन समाज को प्रतीक्षा थी, श्री राम तो रोम-रोम में बसे हुए हैं, इस ब्रह्मांड के चप्पे-चप्पे में विराजमान हैं। राम मंदिर को लेकर श्रीराम के भक्तों की भावनाओं का सैलाब अपने चरम पर है।
श्रीराम हम सबके आदर्श हैं, हम सबके भगवान हैं। सनातन संस्कृति कालजयी है। श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या के पुनरूद्धार की महान गाथा इसके कालजयी होने का सबसे नूतन प्रमाण है। भारत के लोक जीवन में, राजनैतिक आदर्श में इतिहास और पुराण में, आध्यात्मिक विचारधारा में और इस राष्ट्र के जन-मन में राम जिस गहराई से रचे बसे हैं, वह स्वयं ही इस बात का प्रमाण है कि राम के बिना भारत के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
राम राष्ट्र है, राष्ट्र के प्राण भी हैं, रामराज्य है और राज्य के आदर्श भी हैं। राम घट-घट व्यापी भगवान हैं तो राम अयोध्या में सशरीर प्रकट होने वाले रामलला भी हैं। राम भगवान भी हैं और माता की गोद में खेलते-मुस्कराते कौशल्या नन्दन भी हैं। राम अविनाशी हैं तो अयोध्यावासी भी हैं। वे विष्णु-लक्ष्मी के संकल्प स्वरूप होकर लोक के निर्माण हो जाने उसके पालन पोषण के हेतु होकर वह सीतापति हैं, सियाराम हैं, सीताराम हैं, श्रीराम हैं।