Tuesday, January 21, 2025

बिहार : पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोले रमन सिंह, बिना चर्चा के पास नहीं किया जाना चाहिए विधेयक

पटना। बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कई राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के अध्यक्ष शामिल हुए। इस सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उनकी पूरी टीम भी उपस्थित रही। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष रमन सिंह ने बैठक के दौरान कहा कि चाहे लोकसभा हो या विधानसभा, दोनों की कार्यवाही का समय बढ़ाना चाहिए और प्रत्येक मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।

रमन सिंह ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा, “यहां पर देश भर से आए हुए विधानसभा के अध्यक्ष और विधान परिषद के चेयरमैन हैं। साथ ही लोकसभा के अध्यक्ष और उनकी पूरी टीम, तथा हमारे सभी अधिकारी मौजूद हैं। यह विषय महत्वपूर्ण है कि चाहे लोकसभा हो या विधानसभा, लोकसभा के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि विधानसभा और लोकसभा की अवधि बढ़नी चाहिए, अधिक समय तक बहस होनी चाहिए और किसी भी विभाग के बजट को बिना स्वस्थ चर्चा के पास नहीं किया जाना चाहिए। विधायिका की भूमिका, जो कानून बनाने का कार्य करती है, उसे और मजबूत कैसे किया जा सकता है, यही एक चिंता का विषय है।

“उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में हमने वहां यह नियम लागू किया कि यदि कोई सदस्य वेल में जाता है, तो उसे उस दिन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया जाता है। इसके अलावा, हमने एक और परंपरा शुरू की है, विशेष रूप से नक्सल जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। हमने एक क्लोज-डोर मीटिंग आयोजित की, जो लगभग आठ-दस घंटे चली। यह छोटी विधानसभा में बड़ी परंपरा का हिस्सा बन रही है। हम सब मिलकर इस विधानसभा को जीवित और सक्रिय बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं।

“उन्होंने कहा, “विधानसभा और लोकसभा, दोनों ही विधायिकाओं के माध्यम से देश का संचालन होता है और हमें इसे और मजबूत करना है। एक नई पहल के रूप में अब सभी कार्यवाहियों को एक पोर्टल पर डाला जाएगा, जिससे विधानसभा की सभी कार्रवाई एक जगह उपलब्ध होगी। अब जो विषय सामने आया है, वह 1952 से लेकर अब तक की प्रक्रिया पर आधारित है, और हम इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा के जो नियम और प्रक्रियाएं हैं, उन्हें कैसे और ज्यादा मजबूत किया जा सकता है। साथ ही, इन नियमों का सही तरीके से क्रियान्वयन कैसे किया जाए, ताकि संविधान, जिसे बनाने में लोगों ने कड़ी मेहनत की, उसे बेहतर तरीके से लागू किया जा सके और इसका लाभ जनता के हित में हो।”

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