मुरादाबाद- उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में लगातार हो रही बारिश का असर मैदानी इलाकों पर पड़ रहा है। इसके कारण मुरादाबाद जनपद से गुजरने वाले कोसी नदी का जलस्तर बढ़ गया है और रामगंगा के तटवर्ती व खादर क्षेत्र में बसे करीब 15 से 16 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।
नदियों में जलस्तर बढ़ने से जहां एक ओर हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गईं हैं वहीं दूसरी ओर 15-16 गांवों का जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कोसी नदी के बाद रविवार को रामगंगा का जलस्तर बढ़ने से पानी गांवों में प्रवेश कर गया है। रामगंगा के तटवर्ती व खादर क्षेत्र में बसे करीब 15-16 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। सड़कों और खेतों में जलभराव होने से फसल नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है।
ढेला नदी में जल प्रवाह तेज हो जाने के बाद से काशीपुर मार्ग पर इस्लाम नगर और काफियाबाद इलाके में पानी सड़क के ऊपर से से गुजर रहा है, जिसके चलते लोगों को आवाजाही और पशुओं को चारा लाने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नदी के तटवर्ती गांवों के लोग रामगंगा को पार करके सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हैं। रामपुर दोराहा स्थित रेलवे के अंडरपास में जलभराव होने के कारण यातायात बंद हो गया है।
पहाड़ों के साथ साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी रुक रुककर हो रही लगातार बारिश से भी रामगंगा जैसी नदियों में भी जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। रविवार सुबह रामगंगा के किनारे बसे गांव इस्लाम नगर आदि में सड़कों पर पानी भर गया। खेतों में घुसने के बाद रामगंगा का पानी लोगों के घरों में घुस गया है। इसके अलवा डिलारी ब्लाक के गांव मलकपुर सेमली, आलियाबाद, चंद्रपुरा, सुल्तानपुर, रहटामाफी, सिहाली खद्दर, काजीपुरा, मुस्तफापुर, चटकाली, सलेम सराय आदि गांवों भी जलभराव की समस्या से अछूते नहीं हैं। रामगंगा का पानी खेतों में घुस गया है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि जलस्तर और बड़ा तो चटकाली गांव के पास संपर्क मार्ग टूटने की आशंका है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जलभराव से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। पशुओं को चारा लाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि पिछले दस पंद्रह वर्षों से भी अधिक समय से स्थानीय लोगों द्वारा पुल निर्माण की मांग पर जनप्रतिनिधियों द्वारा आबादी के पास तटबंध बनाने के बार बार वायदे जरुर किए गए लेकिन नतीजा सिफर रहा।
इतना ही नहीं बाढखंड विभाग से भी इस बाबत बार बार अनुरोध किया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि सैकड़ों किसानों की फसलें तबाही के कगार पर हैं।
वर्ष 2010 में पर्वतीय क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश की वजह से मुरादाबाद की रामगंगा विहार, ज़िगर कालोनी, सिविल लाइंस इलाके के मकानों के सामने गलियों में पानी भर गया था।
अब ढेला नदी में उफान से भोजपुर क्षेत्र के अहमदपुर, आनंदपुर, बसावन पुर, गनीमत नगर, उर्फ सिहाली, अक्का, शाहपुर, खईया खादर, घोसीपुरा, इस्लामनगर, मंसूरपुर, मकसूदपुर, पीपलसाना, रूस्तमपुर तिगरी, महमूदपुर तिगरी, तिरलोकपुर का मजरा, रूपपुर बहादुरपुर आदि गांवों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। रविवार को ढेला का पानी रामपुर दोराहे के नजदीक बने रेलवे अंडरपास में भी घुस गया। सेहल गांव में पानी सड़क पार करके ताजपुर की तरफ बहने से कई गांव जलमग्न हो गए। रामगंगा का जलस्तर बढ़ने से जामा मस्जिद के वारसी नगर, लाल बाग, नवाबपुरा और चक्कर की मिलक के बाशिंदे लगातार बढ़ने से चिंतित हैं।
वहीं दूसरी ओर इसी रफ्तार से नदियों में जलस्तर बढ़ते रहने की चिंता में डूबे किसानों की तैयार खड़ी हजारों एकड़ फसल पानी में बर्बाद हो जाने की आशंका सता रही है। पहाड़ों में होने वाली बरसात का असर मैदानी इलाके से गुजरने वाली नदियों के तटवर्ती इलाकों की खेती-बाड़ी और जनजीवन को प्रभावित करता रहा है।