Wednesday, May 8, 2024

यूपी में शिखर छूता धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन

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-आशीष वशिष्ठ
कोरोना महामारी के बाद धीरे-धीरे ही सही अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। देश के हर क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों ने जो
गति पकड़ी है, उसका प्रभाव स्पष्ट तौर पर दृश्यमान हो रहा है। जनसंख्या के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ चुकी है। कोरोना की काली छाया से मुक्त होने के बाद उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक,ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर रौनक बढ़ने लगी है। प्रदेश की योगी सरकार का फोकस पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करने में है। इन्हीं क चलते बीते छह वर्षों में उत्तर प्रदेश देश डॉमेस्टिक टूरिज्म में पहले स्थान पर उभरकर सामने आया है।

विशेषकर धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार-1 में किए गए प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। अपने
दूसरे कार्यकाल में योगी सरकार पर्यटन क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है।  आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं। इसमें धार्मिक
पर्यटन का विशेष योगदान है। भगवान श्रीराम-श्रीकृष्ण की धरती अयोध्या एवं मथुरा के अलावा भगवान शिव के त्रिशूल पर
टिकी काशी और तीर्थराज प्रयाग में लगने वाले कुम्भ ने इसे परवान चढ़ाया है।

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इतना ही नहीं, पतित पावनी गंगा के नाते भी यूपी पर्यटन को बेशुमार सफलता मिली है। अयोध्या का दीपोत्सव, बरसाने की होली, काशी की देव दीपावली, बुद्धिस्ट और रामायण कॉन्क्लेव ने भी यूपी पर्यटन को मजबूत किया है।

ये सच है कि जबसे प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वनाथ काॅरिडोर का उद्घाटन किया है, तब से धर्म की नगरी काशी का पर्यटन
उद्योग भी पहले से पहले से काफी बेहतर हो गया है। आंकड़ों के आलोक में बात करें तो काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ावे
से होने वाली आमदनी दोगुनी हो चुकी है और आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। हर महीने 15
से 20 लाख की संख्या में पर्यटक काशी पहुंच रहे हैं। जहां पहले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या सीमित रहती थी।

वर्ष 2019 में देश में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमशः 53 करोड़ 58 लाख 55 हजार 162 एवं 47 लाख 45 हजार 181 रही। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 से 2017 के बीच में उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमशः 99.07 करोड़ एवं 1.19 करोड़ रही। वर्ष 2017 से 2021 के बीच बढ़कर यह संख्याक्रमशर 125.07 एवं 1.31 करोड़ हो गई। ओवरऑल यह वृद्धि 27 फीसद की है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने का असर होटल व्यवसाय भी पड़ा है। इस दौरान होटलों के कमरों की संख्या में इजाफा हुआ। यह 3000 कमरों से बढ़कर 4500 हो गई। यह बढ़ोत्तरी उस समय दर्ज हुई, जब वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पर्यटन और इससे जुड़े क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित रहे।

दरअसल धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार-1 ने पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं को
बेहतर किया। परंपरागत आयोजनों को भी नया स्वरूप दिया। अयोध्या में दीपावली के एक दिन पहले दीपोत्सव के आयोजन की शुरूआत की। यह आयोजन देश-दुनिया में यूपी का ब्रांड बने। वाराणसी की देव दीपावली, मथुरा का कृष्ण जन्मोत्सव,बरसाने की होली, कुशीनगर का बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव तथा काशी, अयोध्या, लखनऊ, प्रयागराज और चित्रकूट को केंद्र में रखकर टूर ऑपरेटर्स का फैम टूअर आदि के कार्यक्रमों ने भी पर्यटन को पंख लगाए। योगी सरकार 2.0 में भी इस प्रयास का सिलसिला जारी रहेगा। अगले 100 दिन, 6 माह और पांच साल की कार्ययोजना तैयार है। मुख्यमंत्री द्वारा विभाग का प्रस्तुतीकरण भी देखा जा चुका है।

इस कार्ययोजना के अनुसार अगले 100 दिनों में इको एंड रूरल टूरिज्म बोर्ड, सभी जिलों में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषदों का गठन का काम पूरा करेगा। 291.53 करोड़ रुपए की लागत से शुरू होने वाली 170 परियोजनाओं का लोकार्पण भी होगा।

बीते नवंबर को उत्तर प्रदेश में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने नई पर्यटन नीति को मंजूरी दी है। नई
नीति के तहत सरकार प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए गांव में भी ‘होम स्टे’ को बढ़ावा देगी।  ऐसा करने के लिए गांव
के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया जाएगा बल्कि उनको अपने घर को होम स्टे की सुविधा में ढालने के लिए सुविधाएं भी दी
जाएंगी। इससे प्रदेश में ईको टूरिज्म और रूरल टुरिज्म  को बढ़ावा मिलेगा। गांव में पर्यटन बढ़ने से न सिर्फ लोकल स्तर
पर रोजगार लोगों को मिलेगा, बल्कि स्थानीय उत्पादों की बिक्री भी होगी।

अयोध्या में मंदिर निर्माण के कार्य के साथ ही 30 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट आसपास के क्षेत्र में चल रहे हैं। आने वाले समय में अयोध्या दुनिया की सुंदर नगरी के रूप में सामने होगी। आज अयोध्या में जितने पर्यटक आ रहे हैं इनकी संख्या मंदिर निर्माण के बाद 10 गुना बढ़ने की उम्मीद है।

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