सहारनपुर। निषाद पार्टी के संस्थापक, अध्यक्ष और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार में मतस्य पालन मंत्री डा.संजय निषाद ने सहारनपुर के मां शाकुंबरी देवी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सहारनपुर से सोनभद्र तक निकलने वाली संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा का आज शुभारंभ किया। यह यात्रा जिले के कस्बा सरसावा में पहुंची। जहां उन्होंने जिला कश्यप समाज द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उन 200 इलाकों से होकर गुजरेगी जहां अति पिछडों जैसे निषाद, मल्लाह, केवट और कश्यप आदि बिरादरियों की आबादी 70 हजार से एक लाख तक है।
उनका लक्ष्य इन बिरादरियों को विकास की मुख्य धारा में जोडने का है। उन्होंने इन जातियों से आज अपील की कि वे जनगणना के दौरान खुद का नाम अनुसूचित जाति के कालम में दर्ज कराए। डा. संजय निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार के गजट में ये बिरादरियां अनुसूचित जाति में शामिल है। जबकि उत्तर प्रदेश में उन्हेें ओबीसी वर्ग में असंवैधानिक रूप से शामिल कर दिया गया था और फिर 21 दिसंबर 2016 को पिछडा वर्ग से निकाल दिया गया।
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उन्होंने कहा कि 1991 तक इन जातियों की गिनती अनुसूचित जाति में होती थी और उसी के प्रमाण पत्र मिलते थे। स्थिति यह हो गई कि पिता के पास एससी का और बेेटे के ओबीसी का प्रमाण पत्र था। उन्होंने कहा कि यह जातियां निषाद राज के वंशज हैै। डा. संजय निषाद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह पिछडा वर्ग से बाहर कर दी गई जातियों को जागरूक कर अनुसूचित जाति मेें पुनवर्गीकृत करने के लिए संघर्ष को प्रेरित करने निकले हैै। उन्हीं के आंदोलन से लक्ष्य की प्राप्ति होगी। उनकी पार्टी केे भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल होने मात्र से यह मांग पूरी होने वाली नहीं है।
डा. संजय निषाद ने कहा कि आज विपक्ष में होने पर अखिलेश यादव पीडीए का नारा लगा रहे है। जब उनकी सरकार थी तो उसमें ठाकुर अमर सिंह और मोहम्मद आजम खां का बोलबाला था। इसी तरह मायावती के शासन में सतीश चंद मिश्रा छाए रहे। जबकि निषाद पार्टी निचले पायदान पर मौजूद अशिक्षित, शोषित, पीडित जातियों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए प्रयत्नशील है। उनके प्रयासों सेेे यूपी में जातिगत खांचों में बंटी राजनीति में निषाद जाति ने अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है।