Friday, January 10, 2025

गाजियाबाद में सनातन बोर्ड के गठन के लिए विशेष अभियान चलाएगा संत महामंडल

गाजियाबाद। दिल्ली संत महामंडल का रजत जयंती समारोह में सनातन बोर्ड के गठन हेतु विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की अध्यक्षता में हुए समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी राघवानन्द महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानद गिरी महाराज, महामंडलेश्वर धर्म देव महाराज, विश्व प्रसिद्ध भागवत कथा व्यास आचार्य देवकी नंदन ठाकुर, विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरू आचार्य सुधांशु महाराज, कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम, लोकेश मुनि महाराजए महामंडलेश्व नवल किशोर दास महाराज, महामंडलेश्वर कंचन गिरि महाराज, महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, महंत गिरीशानंद गिरि महाराज, आनंदेश्वरानंद गिरि महाराज

मोती बाग दिल्ली, महंत कमल गिरि महाराज,

थानापति धर्मेंद्र गिरि महाराज, केन्द्रीय राज्य मन्त्री सड़क परिवहन एवं कॉरपोरेट मन्त्रालय हर्ष मल्होत्रा, सांसद मनोज तिवारी समेत सैकडों संतों ने सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति की पताका पूरे विश्व में फहराकर भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने की सिंह गर्जना की। महामंडलेश्वर स्वामी राघवानन्द महाराज ने कहा कि 25 वर्ष पूर्व दिल्ली संत महामंडल की स्थापना ही सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति, मठ-मंदिरो व साधु-संतों की रक्षा के उददेश्य से की गई थी। संगठन लोगों  में धार्मिक चेतना जगाने में सफल रहा है। उसी के चलते दिल्ली.एनसीआर में ऐसे सैकडों मठ.मंदिरों की रक्षा हो सकी, जिन्हें अवैध बताकर ध्वस्त कराने का षडयंत्र किया जा रहा था।

 

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानद गिरी महाराज ने कहा कि मानवता व विश्व के कल्याण के लिए सनातन धर्म का मजबूत होना बेहद जरूरी है। सनातन धर्म को सिर्फ संत ही मजबूत कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें एकजुट होना पडेगा। संतों को एकजुट कर सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए दिल्ली संत महामंडल द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं।

 

महामंडलेश्वर धर्म देव महाराज ने कहा कि आज देश ही नहीं पूरे विश्व में जो माहौल है और देशों में आपस में युद्ध चल रहे हैं व सनातन धर्म को भी निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में संतों को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है। संत ही पूरे विश्व का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं और वसुधैव कुटुम्बकम की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं।

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