नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरदार पटेल ने हैदराबाद को निजाम के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
गृहमंत्री शाह ने रविवार को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ पर हैदराबाद में आयोजित जनसभा में कहा कि लौहपुरुष सरदार पटेल न होते तो इस विशाल क्षेत्र को इतनी जल्दी मुक्ति नहीं मिलती। वो सरदार पटेल ही थे जिन्होंने ‘राष्ट्र सर्वप्रथम’ के सिद्धांत को चरितार्थ कर हैदराबाद में पुलिस एक्शन का निर्णय लिया और खून का कतरा बहाए बिना निजाम के रजाकारों की सेना को सरेंडर करने पर मजबूर किया था।
शाह ने कहा कि अंग्रेजों से आजादी के बाद 399 दिन तक हैदराबाद पर क्रूर निजाम का शासन रहा। ये 399 दिन यहां की जनता के लिए नरक की यातनाओं से भी कठिन थे। सरदार पटेल ने इस क्षेत्र की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए 400वें दिन इस क्षेत्र को आजाद कराया। इस आंदोलन में कई संगठनों ने संघर्ष किया। चाहे आर्य समाज हो, हिन्दू महासभा हो, उस्मानिया यूनिवर्सिटी का वंदे मातरम् आंदोलन हो या बीदर के किसानों के लोकसंघर्ष के गीत और आंदोलन हों, पर इन सभी के संघर्ष को अंतिम स्वरूप सरदार पटेल ने दिया।
शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि तुष्टीकरण की नीति के कारण किसी भी सरकार ने इस महान संघर्ष की ऐतिहासिकता को युवाओं को याद दिलाने के लिए हैदराबाद मुक्ति दिवस नहीं मनाया था, लेकिन गत वर्ष से मोदी सरकार ने 17 सितंबर को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने की नई परंपरा शुरू की। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को इस महान आंदोलन के शहीदों के संघर्ष से अवगत कराया जाएगा।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि हैदराबाद मुक्ति संघर्ष में जिन वीर नागरिकों ने हिस्सा लिया, उन सभी को वह प्रणाम करते हैं। इस संघर्ष में जिन लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उन्हें वह हृदय से श्रद्धांजलि देते हैं। शाह ने कहा कि हैदराबाद, कल्याण-कर्नाटक और मराठवाड़ा की इस विशाल भूमि को भारतीय संघ में विलय कराने वाले सरदार पटेल को वह श्रद्धा के साथ नमन करते हैं।