महाकुंभ नगर। महाकुंभ में एक ओर देश-दुनिया के करोड़ों भक्त रोजाना त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में स्नान करके खुद को धन्य मान रहे हैं, वहीं हाल ही में आई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है। प्रख्यात वैज्ञानिक गंगाजल में स्नान को लेकर आई रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक तरफ उसे अपूर्ण बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रिपोर्ट के अंशों को गलत ढंग से प्रसारित करने का संदेह जता रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि नाइट्रेट और फॉस्फेट जैसे तत्वों का रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है, जो इसे अपूर्ण बनाता है। ऐसे में, केवल इस रिपोर्ट के आधार पर गंगाजल की गुणवत्ता पर सवाल उठाना ठीक नहीं रहेगा। वैज्ञानिकों ने संगम के जल को स्नान योग्य बताया है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार मिश्रा, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह तथा दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आर.के. रंजन ने शुक्रवार को एक स्वर में कहा कि मौजूदा रिपोर्ट के आधार पर भी गंगा जल क्षारीय है, जो कि स्वस्थ जल निकाय का संकेत है। जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा के आधार पर इसे स्नान योग्य ही माना जाएगा। प्रयागराज के पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के संदूषण की रिपोर्ट पर डॉ. अमित कुमार मिश्रा ने कहा कि हमें और अधिक आंकड़ों की आवश्यकता है। महाकुंभ में बहुत बड़ी संख्या में लोग स्नान कर रहे हैं।
अगर आप कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की बात करें, तो यह कोई नई बात नहीं है। उनके अनुसार, अगर आप अमृत स्नान के चरम के डाटा को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि उस समय ई.कोली बैक्टीरिया चरम पर होता है। मैं कहूंगा कि हमें और अधिक डाटा सेट की आवश्यकता है। हमें अधिक मापदंडों और अधिक निगरानी स्टेशनों की आवश्यकता है, खासकर धारा के नीचे। स्नान के उद्देश्य से, तीन माइक्रोग्राम प्रति लीटर सुरक्षित है और हम कह सकते हैं कि पानी नहाने के लिए अच्छा है। अगर आप संगम घाट के डाटा में बदलाव देखें, तो आप पाएंगे कि यह तीन के आसपास उतार-चढ़ाव कर रहा है। कभी-कभी, यह 4 या 4.5 हो जाता है। मैं कहूंगा कि घुलित ऑक्सीजन का स्तर जो हम देखते हैं, वह एक बहुत ही स्वस्थ जल निकाय का संकेत है। अगर आप पीएच रेंज देखें, तो वे सभी क्षारीय पानी हैं, जो अच्छा माना जाएगा। प्रो. उमेश कुमार सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले सीपीसीबी ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें पानी में फीकल कोलीफॉर्म (बैक्टीरिया) के बढ़े हुए स्तर की बात कही गई है। मेरा मानना है कि सीपीसीबी को रिपोर्ट पर और काम करने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास पूरा डाटा नहीं है। उनके अनुसार, रिपोर्ट में नाइट्रेट और फॉस्फेट का स्तर गायब है। वहीं, रिपोर्ट में दिखाए गए अनुसार, पानी में घुले ऑक्सीजन का स्तर अच्छा है।
ऐसे में, मौजूदा डाटा के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि त्रिवेणी संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त है। एसोसिएट प्रोफेसर आर.के. रंजन ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डाटा में काफी अंतर है। यह निष्कर्ष निकालना कि पानी नहाने के लिए असुरक्षित है, जल्दबाजी होगी। प्रयागराज का पानी नहाने के लिए सुरक्षित नहीं है, यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त डाटा नहीं है। ऐसा ही दावा गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, बक्सर और पटना को लेकर भी किया गया है। उनके अनुसार, ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि बड़ी संख्या में लोग एक ही पानी में नहाते हैं। यह भी मायने रखता है कि जल का नमूना कहां से और कब लिया गया है।