गाजियाबाद। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) सेटेलाइट सेंटर खुलने के बाद गंभीर बीमारियों का इलाज मिलेगा। एम्स खुल जाने से गंभीर मरीजों को जांच व इलाज की सुविधा मिल सकेगी। उन्हें दूसरे शहरों या दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। कम खर्च में यहां बेहतर इलाज मिल सकेगा। हालांकि अब तक इसके लिए जगह तय नहीं हुई है लेकिन, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए एम्स सेटेलाइट के लिए जगह ढूढना बड़ी चुनौती होगा। क्योंकि ट्रांस हिंडन क्षेत्र में पिछले दस वर्ष से एक सौ बेड के अस्पताल के लिए स्वास्थ्य विभाग जगह ढूढ रहा है, अब तक कहीं जमीन नहीं मिली।
स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके अवर अभियंता आदित्य धीमान का कहना है कि अस्पताल का भवन बनाने के लिए जमीन इसलिए नहीं मिल पाती है कि इसके लिए बजट नहीं मिलता है। वहीं जीडीए और आवास विकास बेसकीमती जमीन मुफ्त में देना नहीं चाहता है। इस कारण से लंबे समय से जगह नहीं मिल पा रही है। अगर प्रशासन और शासन स्तर से पहल होगी तो जिले में अभी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर एम्स बनाया जा सकता है।
आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ.वीबी जिंदल ने बताया कि एम्स खुलने से सामान्य से लेकर गंभीर हर वर्ग के मरीजों को फायदा होगा। अब तक सरकारी अस्पतालों में भीड़ रहती है। इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति होने से इलाज भी बेहतर होगा। आईएमए के प्रवक्ता डॉ. नवनीत वर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) वरदान साबित होगा। जिला अस्पताल पर मरीजों का भार थोड़ा कम होगा। वहीं गंभीर मरीजों को अब दिल्ली या मुंबई के लिए रेफर नहीं करना पड़ेगा। गंभीर मर्ज की यहीं जांच व इलाज हो सकेगा। रेफर करने से दूसरे शहरों में जाकर मरीज परेशान होते हैं। समय से इलाज न मिल पाने से अनेक की मौत हो जाती है। यहां एम्स खुलने से मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
सीएमओ डॉ.अखिलेश मोहन ने बताया कि एम्स सेटेलाइट बनाने के लिए शासन स्तर से जो भी निर्देश दिया जाएगा, उसका पालन किया जाएगा।