मुजफ्फरनगर मे भोपा रोड पर स्थित एक मात्र लोक प्रिय धार्मिक संस्थान विष्णुलोक के संचालक पं० विनय शर्मा ने बताया कि इस वर्ष शिवरात्रि का पावन पर्व 15 जुलाई 2023 दिन शनिवार को है। त्रयोदशी 14 जुलाई 2023 को सांय 7 बजकर 17 मिनट से प्रारम्भ हो जायेगी और इसी समय से शिव जलाभिषेक प्रारम्भ हो जायेगा तथा 15 जुलाई 2023 को पूरे दिन शिव जलाभिषेक होता रहेगा ।15 जुलाई 2023 को रात्रि 8 बजकर 33 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी प्रारम्भ हो जायेगी । यदि त्रयोदशी की समाप्ति और चतुर्दशी के प्रारम्भ के संगम काल में शिव जलाभिषेक किया जाये तो अत्यन्त श्रेष्ठ रहेगा ।
त्रयोदशी व चतुर्दशी के संगम काल में शिव जलाभिषेक से शिव और शिवा का आशीर्वाद प्राप्त होकर जलाभिषेक का हजार गुना फल मिलता है । अतः इस दृष्टि से 15 जुलाई 2023 को रात्रि 8 बजकर 33 मिनट पर शिव जलाभिषेक अति उत्तम रहेगा ।
स्कन्दपुराण के अनुसार शिवरात्रि शिव पूजन और रात्रि जागरण करने वाला व्यक्ति संसार के आवागमन से मुक्त हो जाता है। पूजन व जलाभिषेक के लिए साधक शिवरात्रि व्रत से पहले प्रहर में स्नान करके पशुपतये नमः उच्चारण करते हुए संकल्प करें और कहें मै शिव की सन्तुष्टि के लिए व्रत रखकर शिव पूजन कर रहा हूँ। साधक को पूजन हेतु ईशान कोण या पूरब या उत्तर की ओर मुख कर मृगछाला या कुशा आसन पर बैठना चाहिए। शिवलिंग पर पंचामृत, दूध, दही, घी,शहद, शर्करा एवं गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, सफेद आखा व धतूरे के फूल,कमलकटा व नीलकमल चढाकर पूजन करना चाहिए। दिव्य पांच वस्तुओं से मिश्रित पंचामृत या गंगाजल से शिवलिंग का स्नान कराते समय ओम नमः शिवाय का जाप करते रहें।
शिव पूजन के उपरान्त व्रत व पूजन का यथेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए मंत्र का उच्चारण भी करना चाहिए। कुछ शिवभक्त त्रयोदशी में जल चढाते है और कुछ शिवभक्त चतुर्दशी में जल चढाते है । श्रावण मास में शिव आराधना का विशेष महत्व है । शिवलिंग पर पंचामृत, बेलपत्र, कनेर, सफेद आखा व धतुरे के फूल, कमलगटटा व नीलकमल से अभिषेक करने से रोग-शोक से मुक्ति और सुख समृद्धि प्राप्त होती है। सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु का दमन होता है। गन्ने के रस से अभिषेक करने से कर्जे से मुक्ति मिलती है। अनार के रस से महालक्ष्मी प्रसन्न होती है। गंगा जल से अभिषेक से आयु में वृद्धि होती है।
शिवभक्त को गले में रूद्राक्ष भी धारण करना चाहिए। शिव पूजन के समय एकाग्रता, संकल्प व कामवासना से मुक्ति के लिए भस्म का त्रिपुड़ भी माथे पर लगाना चाहिए । त्रिपुड़ की प्रत्येक रेखा में 9-9 देवताओं का वास होता है । शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण अवश्य पढ़नी चाहिए।