भोपाल | मध्यप्रदेश की सरकार आधी आबादी का दिल जीतने की कोशिश में लगी हुई है, लगभग डेढ़ दशक पहले अस्तित्व में लाई गई लाड़ली लक्ष्मी योजना की बालिकाएं अपने जीवन के सुखद चरण की ओर कदम बढ़ा रही है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन बालिकाओं के खास संस्थान में प्रवेश लेने पर सरकार की ओर से फीस देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को ‘हां मैं भी लाड़ली हूं’ की टैगलाइन देते हुए कहा कि लाड़ली लक्ष्मी बेटियों का मेडिकल, आईआईटी, आईआईएम, विधि संस्थानों और अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में दखिला होने पर उनकी फीस राज्य सरकार द्वारा भरी जाएगी। लाड़ली लक्ष्मी बेटियों के लिए प्रदेश में नौ से 15 मई की अवधि में शहर और पंचायतों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसमें नौ मई को खेल प्रतियोगिताएं, 10 मई को लाड़ली लक्ष्मी फ्रेंडली पंचायतों को पुरस्कार वितरण, 11 मई को वित्तीय और डिजिटल साक्षरता पर कार्यक्रम, 12 मई को स्वास्थ्य परीक्षण, नृत्य एवं गीत प्रतियोगिता, 13 मई को पुलिस थाना सहित शासकीय कार्यालयों का भ्रमण, 14 मई को ई-केवायसी के लिए अभियान और चित्रकला प्रतियोगिता तथा 15 मई को क्षेत्रीय पर्यटन स्थलों एवं अन्य अभिरुचि के स्थानों के भ्रमण का कार्यक्रम होगा।
मुख्यमंत्री ने लाड़ली लक्ष्मी दिवस पर मुख्यमंत्री निवास परिसर में बेटियों के सम्मान, मार्गदर्शन और संवाद पर केंद्रित राज्यस्तरीय लाड़ली लक्ष्मी उत्सव में पुष्पवर्षा कर लाड़ली लक्ष्मियों का स्वागत किया। साथ ही रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई।
चौहान ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना को 16 साल पूर्ण हो रहे हैं। प्रदेश में 44 लाख 85 हजार से अधिक लखपति लाड़लियों का परिवार बन गया, यह प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। बेटियों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदला है। सभी क्षेत्रों में बेटियां अपनी प्रतिभा का परिचय दे रही हैं। बेटियों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार न हो, बेटा-बेटी को समान माना जाए, इसी उद्देश्य से 16 साल पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज एवं परिवारों में बेटी को बोझ मानने के दृष्टिकोण से बहुत पीड़ा और वेदना होती थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों की स्थिति में सुधार और समाज का दृष्टिकोण बदलने के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना से शुरू किए गए प्रयासों की कड़ी में बालिकाओं की शिक्षा, उनके बेहतर स्वास्थ्य और आत्म-निर्भरता के लिए प्रशिक्षण आदि के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गईं। बेटी का विवाह बोझ न माना जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना शुरू की। इन सब प्रयासों का प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है। प्रदेश में एक हजार बेटों पर 956 बेटियां जन्म ले रही हैं। लिंगानुपात में हुआ यह सुधार समाज के बदले दृष्टिकोण का परिचायक है और यह राज्य सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों को प्रगति के सभी अवसर उपलब्ध कराने के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस और स्कूल शिक्षा सहित अन्य विभागों में होने वाली भर्तियों में आरक्षण की व्यवस्था तथा पंचायत और नगरीय निकायों में महिला आरक्षण इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।