Sunday, November 24, 2024

क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म से छोटे खुदरा व्‍यापारियों का कारोबार छिनने का खतरा

नई दिल्ली। देश के खुदरा कारोबारियों को क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म के बढ़ते व्‍यापार से उनका कारोबार छिनने का डर सता रहा है। व्‍यापारियों का कहना है कि ये प्लेटफार्म नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसलिए सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बुधवार को नई दिल्ली में एक श्वेत पत्र जारी कर कहा कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहे हैं।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्‍वेत पत्र जारी कर इन क्विक कॉमर्स (क्यूसी) प्लेटफॉर्म द्वारा एफडीआई फंड का दुरुपयोग कर आपूर्तिकर्ताओं पर नियंत्रण, इन्वेंटरी पर प्रभुत्व और अनुचित मूल्य निर्धारण करने के लिए के आरोप लगाएं हैं। उन्होंने कहा कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म के नियम विरुद्ध कृत्यों से देश के करीब 3 करोड़ किराना स्टोर का बाजार में टिक पाना संभव नहीं है। ये प्लेटफॉर्म एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म द्वारा किए जा रहे नियम विरुद्ध कार्य के कारण सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

कैट के श्वेत पत्र में कहा गया है कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म को 54 हजार करोड़ रुपये से अधिक की एफडीआई सहायता मिली है लेकिन इन प्लेटफॉर्म ने इस निवेश का उपयोग ना तो बुनियादी ढांचा निर्माण में किया और ना ही दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में। इन प्लेफॉर्म ने 54 हजार करोड़ रुपये से केवल 1,300 करोड़ रुपये ही परिसंपत्ति और बुनियादी ढांचा बनाने पर खर्च किए हैं। ये प्लेटफॉर्म एफडीआई का उपयोग संचालन में होने वाले घाटे की पूर्ति करने और कुछ चुनिंदा विक्रेताओं के जरिए अनुचित छूट देने में कर रहे हैं। इस प्रकार के कार्यों ने क्यूसी प्लेटफॉर्म्स को बाजार का वो हिस्सा हासिल करने में मदद की है, जो पहले किराना स्टोर्स के पास था। इससे कई छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।

श्वेत पत्र में जेएम फाइनेंसियल की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि रियल के एक लीटर मिक्स्ड फ्रूट जूस की एमआरपी 110 रुपये है, जबकि ये दिल्ली में ब्लिंकइट पर 80 रुपये, इंस्टामार्ट पर 85 रुपये और जेप्टो पर 90 रुपये उपलब्ध था। इसी तरह डाबर च्यवनप्राश की एमआरपी 399 रुपये ह लेकिन क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म पर यह 345 से 350 रुपये में उपलब्ध था। ऐसे में कारोबारियों का कहना है कि क्यूसी प्लेटफॉर्म पर एमआरपी से 30 फीसदी तक छूट दी जा रही है। आखिर कोई इतनी छूट देकर घाटा सहकर क्यों कारोबार करेगा? श्‍वेत पत्र में ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्‍टो और स्विगी आदि के उन कार्यों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है, जो भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहे हैं।

केंद्र से क्विक कॉमर्स की शिकायत करेंगे कारोबारी
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि कारोबारी इन क्विक प्लेटफॉर्म की शिकायत करने के लिए जल्द ही केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी से मिलेंगे। बवेजा ने कहा कि कारोबारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह काम बराबरी के आधार पर होना चाहिए और सभी नियमों का पालन करना चाहिए। इस अवसर पर कैट के राष्ट्रीय चेयरमैन बृज मोहन अग्रवाल, ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन कैलाश लख्यानी तथा प्रधान अरविंदर सिंह, कैट दिल्ली के अध्यक्ष विपिन आहूजा, और कैट के संयुक्त महासचिव सुमित अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ व्यापारिक नेता उपस्थित थे।

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