मुजफ्फरनगर। आज देश की सरकार ने नई संसद में अपना पहला अन्तरिम बजट पेश किया, जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रमवार योजनाओं सहित ब्यौरा दिया, जिसमें उन्होंने यह बजट महिला, गरीब, युवा, किसान के हितों के लिए पेश किया। सरकार द्वारा कहा गया कि देश की मंडियों को ई-नाम राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा रहा है। यह योजना राष्ट्रीय बाजार को स्थापित करने के नाम पर चलायी जा रही है, जिससे किसान देश के किसी भी कोने में बैठे व्यापारी को अपनी फसल बेच सके।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर ई-नाम राष्ट्रीय कृषि बाजार जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्व में भी देश की डिफाल्टर कम्पनी नागार्जुन फर्टिलाईजर्स एण्ड कैमिकल्स लिमिटेड को दिया जो कि 15०० करोड़ रूपये न चुका पाने के कारण दिवालिया घोषित कर दी गयी। इस योजना से अगर ऐसी डिफाल्टर कम्पनियां और कॉरपोरेट कम्पनियां फसल खरीद के नाम पर जुडेंगी, तो इसका सीधा नुकसान देश के किसानों को होगा। इस योजना में हुई धांधली के बारे में अवगत कराने के लिए देश के पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर जानकारी दी।
आज वित्त मंत्री ने कहा कि 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा योजना व 11.8 करोड किसानों को पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है, जबकि धरातल पर यह दोनों योजनाएं पूर्ण तरीके से गायब हैं। देश में बेमौसम हुई बरसात व ओलावृष्टि से देश के बहुत से राज्य चपेट में आए। प्रशासन ने जिलास्तर व तहसीलस्तर पर सर्वे तो कराए, लेकिन किसानों को उसका लाभ नहीं मिला। पीएम सम्मान निधि में 500रूपये प्रतिमाह दी जाने वाली धनराशि देश के सबसे मजबूत स्तम्भ और देश के आय के स्रोत कृषक का भला नहीं कर सकती है। यह सिर्फ आंकड़ों में नजर आती है। इस बजट में पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई कटौती नहीं है। महंगाई कम करने की कोई बात नहीं है। महिला, गरीब, युवा, आदिवासी, किसान सिर्फ कागजों पर नजर आता है। नई संसद में पुराने ढर्रें पर पेश अन्तरिम बजट केवल चुनावी ढ़कोसला है। यह देश के किसान, युवा, गरीब, आदिवासी के साथ धोखा है।
बजट में किसानो को नहीं मिली न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राजस्थान, छतीसगढ़ की मोदी गारंटी-धर्मेंद्र मलिक
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने बजट 2०24 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट से किसानो को ज्यादा उम्मीद नहीं थी, क्योंकि यह अंतरिम बजट है, लेकिन किसानो की लोकसभा चुनाव से उम्मीद थी कि पूरे देश को गेहूं, धान की खरीद पर पूरह्य देश के किसानो को राजस्थान, छत्तद्धसगढ़ की तर्ज पर मोदी गारंटी मिलेगी, यह नहीं हो पाया है,
अगर एक देश एक टैक्स को लागू कर सकते है, तो एक फसल एक मूल्य को लागू किया जा सकता है। बजट में कोई नई योजना कृषि कल्याण के लिए नही लाई गई है। किसानो को जीएसटी में भी कोई राहत नहीं है। पीएम आशा में भी कोई आबंटन नही बढ़ा है।
फसल बीमा योजना की कवरेज काम होना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार का एग्री क्लीनिक खोलने की योजना से किसान को लाभ मिलेगा, इससे किसानो को सही सलाह मिलेगी, बजट एक रूटीन प्रक्रिया है इससे किसी वर्ग के कल्याण का कोई वास्ता नहीं है। सरकार को कृषि क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाए जाने की जरूरत थी। इस बजट से किसानो को निराशा मिलद्ध है।
सामाजिक व धार्मिक कार्यकर्ता राजीव बंसल ने कहा कि आज का बजट देश को जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार होगा और विश्व मे भारत का डंका बजेगा। राजीव बंसल ने कहा कि आज का पेश बजट सर्वोन्मुखी बजट है।इस बजट में सभी क्षेत्रों का बराबर ध्यान रखा गया है। यह बजट पिछड़ो, शोषितों, वंचितों के विकास को समर्पित बजट है। आज का बजट हर वर्ग का सम्मान और सबका ध्यान रखने वाला है।
भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना छठा अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें वर्षों से प्रतीक्षारत हिंदू मंदिरों की स्थिति को सुधार करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया, पुजारियों को भी कोई सुविधा नहीं दी गई, महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष महामंडलेश्वर संजीव शंकर महाराज ने कहा कि भगवान राम की कृपा भाजपा सरकार पर है, परंतु निचले स्तर पर हिंदू मंदिरों के लिए कोई भी सुविधा का प्रावधान बजट में नहीं किया गया, मंदिरों के लिए भी कोई सुविधाजनक समायोजन होता तो अच्छा होता।
रालोद की राष्ट्रीय सचिव रमा नागर ने कहा कि भाजपा और उसके सहयीगी दल द्वारा समर्थित केंद्रीय सरकार की केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जो आज अतरिम केंद्रीय बजट पेश किया गया है वह समाज के हर वर्ग के लिए खुशी देना वाला नही है, सभी को निराशा का
जो बजट पेश किया गया यह बजट है या चुनावी घोषणा पत्र ये बजट समझ से परे है, जिसमे पिछली किसी भी आमजन की आर्थिक समस्या का समाधान नहीं कोई राहत नहीं, मुफ़्त राशन के सिवाय कोई बखान नहीं, नौजवान को रोजगार चाहिए और किसान को उसकी फसल के उचित मूल्य के साथ समयानुसार सुविधा भी, इस बजट में अग्रिम वायदों के अलावा कोई जिक्र नहीं बजट वास्तव में बहुत निराशाजनक है, बजट हर वर्ग की एक उम्मीद होती है यह बजट उम्मीद बिल्कुल पृथक है।