नई दिल्ली। देश की लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में विपक्षी राजनीतिक दलों की सक्रियता तेज हो गई है। सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के गढ़ एवं सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंच कर बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया।
वहीं इससे एक दिन पहले रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पार्टी के कार्यकतार्ओं को 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाते हुए कहा कि अगर गेस्ट हाउस कांड नहीं हुआ होता तो सपा-बसपा गठबंधन देश पर राज कर रहा होता। इसके साथ ही मायावती ने यह भी जोड़ा था कि सपा का दलित विरोधी चेहरा और चरित्र किसी से भी छिपा नहीं है, इन्होंने संसद में प्रमोशन में आरक्षण का विधेयक फाड़ डाला था।
जाहिर है कि सपा कांशीराम का नाम लेकर भाजपा की तरह बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है तो वहीं बसपा गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाकर उससे छिटक चुके दलितों को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
सपा और बसपा की सक्रियता बढ़ने से प्रदेश में कई तरह के नए समीकरण बनने के आसार नजर आ रहे हैं जिसकी झलक होने वाले नगर निकायों के चुनाव में दिख सकती है और जिसकी फाइनल रूपरेखा 2024 के लोक सभा चुनाव में देखने को मिल सकती है।
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर भाजपा इस नए राजनीतिक घटनाक्रम को किस तरह से देख रही है? क्या भाजपा के लिए यह नया राजनीतिक घटनाक्रम कोई चिंता पैदा कर रहा है?
इस बारे में बात करते हुए अतीत में उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा का चरित्र पिछड़ा और दलित विरोधी रहा है। कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर अखिलेश यादव विशुद्ध रूप से ढोंग कर रहे हैं,उनका मन ही सच्चा नहीं है तो उन्हें इसका फायदा कैसे मिलेगा ? उन्होंने आगे जोड़ा कि प्रदेश के दलित और पिछड़े नासमझ नहीं है और सब समझ रहे हैं। 2022 के चुनाव से पहले ये भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण कर रहे थे और ठीक वैसे ही 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर रहे हैं लेकिन इनका (अखिलेश यादव ) भविष्य पूरी तरह से अंधकार में है।
नए समीकरण को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मौर्य ने कहा कि कोई समीकरण नहीं बन रहा है, श्रद्धा और समर्पण होता है तब समीकरण बनता है, जहां स्वार्थ होता है, वहां कोई समीकरण नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा कि ये विरोधी दल तो भाजपा के खिलाफ लड़ते ही हैं। 2019 में तो सपा-बसपा मिलकर भी हमारे खिलाफ लड़ चुकी है लेकिन उस चुनाव में भी कमल ही खिला था और 2024 में भी भले ही ये सारे विरोधी एकजुट हो जाएं लेकिन जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है, भाजपा के साथ है और प्रदेश में कमल ही खिलेगा। उपमुख्यमंत्री ने अखिलेश यादव को अस्थिर बताते हुए यहां तक दावा कर दिया कि 2024 में भाजपा उत्तर प्रदेश की 80 में से सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करने जा रही है।