लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) पर खूब तंज कसे। रामचरित मानस पर चल रहे विवाद पर आदित्यनाथ ने खुलकर बात रखी।
उन्होंने मुख्य विपक्ष दल सपा पर 100 करोड़ हिंदुओं की आस्था का अपमान करने का आरोप लगाया। इस दौरान उन्होंने अनेक उदाहरण के जरिए अपने आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर किया और समृद्धशाली यूपी पर गौरव की अनुभूति भी कराई।
मुख्यमंत्री ने रामचरित मानस के सुंदरकांड की चौपाई ‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्ही, मरजादा पुनि तुम्हारी कीन्ही। ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी…’ सुनाई और बोले कि यह प्रसंग तब आता है, जब भगवान राम लंका जाने के लिए समुद्र से तीन दिन तक रास्ता मांगते हैं। तब बोलते हैं.. भय बिन होय न प्रीत.. लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम को धनुषबाण देते हैं। भगवान राम तीर का संधान करके समुद्र को चेतावनी देते हैं तो समुद्र खड़ा होकर कहता है। यह चौपाई उसी प्रसंग का हिस्सा है।
योगी ने कहा कि ढोल वाद्ययंत्र है, गंवार से आशय अशिक्षित से है, शूद्र का आशय श्रमिक वर्ग से है, किसी जाति विशेष से नहीं। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर भी कह चुके हैं कि दलित समाज को शूद्र नहीं बोलें। यह भी पता है कि आपने (सपा) बाबा साहेब के प्रति क्या व्यवहार किया। उनके नाम पर बनी संस्थाओं का नाम बदल दिया। आपने तो घोषणा भी की थी कि हम आएंगे तो बाबा साहेब के स्मारकों को हटाकर टेंट हाउस-मैरिज हॉल खोल देंगे। आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं। नारी का अर्थ- नारीशक्ति से है।
मध्यकाल में जब यह रचा गया तो महिलाओं की स्थिति क्या थी, किसी से छिपा नहीं है। बाल विवाह जैसी विकृतियां भी उस समय ही पनपी थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामचरित मानस अवधी में रची गई। अवधी में ताड़ना का अर्थ देखने से है। मुख्यमंत्री ने बताया कि संत तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था। बुंदेलखंड के परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो वाक्य है… भइया मोरे लड़िकन को ताड़े रखियो… यानी देखभाल करते रहो। संरक्षण करके शिक्षित-प्रशिक्षित करो। सपा संत तुलसीदास के खिलाफ अभियान चलाकर मानस जैसे पावन ग्रंथ का अपमान कर रही है।
सरकार निवेश लाने में जुटी थी, तब यह लोग पवित्र ग्रंथ को जला रहे थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमारे मंत्रिसमूह के सदस्य ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए देश-विदेश जाकर यूपी की समृद्धि का मार्ग तय करने में लगे, तब इन लोगों ने जानबूझकर रामचरित मानस एवं संत तुलसीदास को लेकर नया शिगूफा छेड़ने का प्रयास किया। संत तुलसीदास ने जिस काल खंड में रामचरित मानस की रचना की, तब उन जैसे साधक-संत को सत्ता (अकबर) का बुलावा आया था। तब तुलसीदास ने ‘हम चाकर रघुवीर के… कहकर अच्छा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमारे एक ही राजा हैं, वह राम हैं। राम के अलावा मैं किसी को राजा नहीं मानता हूं। रामलीलाओं का प्रचलन गोस्वामी तुलसीदास की देन है। इसी के माध्यम से मध्यकाल में तुलसीदास ने समाज को एकजुट किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों ने तुलसीदास का अपमान व रामचरित मानस को फाड़ने का प्रयास किया। यह कृत्य किसी अन्य मजहब के साथ हुआ होता तो क्या स्थिति होती। जिसकी मर्जी आए, वह हिंदुओं का अपमान कर ले, अपने अनुरूप शास्त्रों की विवेचना कर ले। योगी ने सपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप पूरे समाज को अपमानित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गौरव की अनुभूति होनी चाहिए कि यूपी राम और श्रीकृष्ण की धरती है, गंगा-यमुना और संगम की धऱती है। यूपी की धरती पर रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए। आप उसे जलाकर देश-दुनिया के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं। ऐसी अराजकता को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है। मुझे एक पंक्ति याद आती है… जाके प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताके मति पहले हर लीन्हा।
मॉरीशस में लोगों के घरों में श्रद्धा का केंद्र है रामचरित मानस
मुख्यमंत्री ने संस्मरण सुनाया कि मैं प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में मॉरीशस गया था। पूर्वी यूपी एवं बिहार से पौने दो सौ वर्ष पहले जो लोग गिरमिटिया मजदूर बनाकर वहां गए थे, आज वे लोग वहां महत्वपूर्ण पदों पर हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि आपके पूर्वज कोई चीज विरासत में लाए हों, ऐसा कुछ बचा है। तब उन्होंने बताया कि हमारे घर में रामचरित मानस है। मैंने पूछा कि क्या आप उसे पढ़ना जानते हैं, उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन विरासत में जो सीखा है, उसे याद रखते हैं।