शामली। जिला उप कृषि निदेशक प्रमोद कुमार ने जिले के समस्त किसानों को पराली और फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध की जानकारी देते हुए इसे रोकने के लिए की जा रही सख्त कार्यवाहियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब तक 31 घटनाएं सैटेलाइट के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 5 घटनाएं पराली जलाने की,2 घटनाएं गन्ने की पत्ती जलाने की,9 घटनाएं कूड़ा-अवशेष जलाने की,15 घटनाओं की पुष्टि नहीं हुई।
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प्रमोद कुमार ने बताया कि संबंधित किसानों पर कुल ₹15,000 का जुर्माना लगाया गया है, साथ ही उन्हें कृषि और गन्ना विभाग की कई सुविधाओं से भी वंचित किया गया है। गन्ने की पत्तियां जलाने के मामले में ग्राम तितरवाड़ा के किसान शिव कुमार पर ₹5000 का जुर्माना तहसीलदार कैराना द्वारा अधिरोपित किया गया है। यह जुर्माना उनसे जल्द ही वसूला जाएगा।
कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को सख्त चेतावनी दी गई है कि धान की कटाई के दौरान एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। बिना एसएमएस के कटाई करते हुए पाए जाने पर हार्वेस्टर को तत्काल सीज कर दिया जाएगा। कृषि निदेशालय, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के निर्देश पर शामली जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 10,000 बायो डीकम्पोजर का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके सापेक्ष अब तक 50,000 बायो डीकम्पोजर नि:शुल्क वितरित किए जा चुके हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने निकटतम राजकीय कृषि बीज गोदाम से बायो डीकम्पोजर प्राप्त करें और इसका उपयोग कर फसल अवशेष को जैविक खाद में परिवर्तित करें।
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प्रमोद कुमार ने किसानों से अपील की”फसल अवशेष या कूड़ा-करकट को जलाने की जगह बायो डीकम्पोजर का उपयोग करें। इससे न केवल खेत की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण को हो रही क्षति भी रुकेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि”जन-जन की है यही पुकार, नहीं जले पराली/पत्ती इस बार।” इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति को बनाए रखना है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वे पर्यावरण अनुकूल विधियों को अपनाएं और पराली जलाने की प्रथा को समाप्त करें। कृषि विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि पराली जलाने पर रोकथाम के लिए कड़ी निगरानी जारी रहेगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।