Sunday, May 19, 2024

ऐसे है हमारे श्याम सुन्दर !

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पुनीत अवसर पर आज की दुखी मानवता भगवान कृष्ण से प्रार्थना कर रही है कि हम तो भगवान नहीं हो सकते पर आप तो हमारी पीड़ा हरने मनुष्य रूप में आ सकते हैं। आप तो मनुष्य की पीड़ा में जी सकते हैं ना?

इसलिए उतरो आकर हमारे स्तर पर खड़े हो जाओ। हमारा पुत्र बन जाओ, हमारा मित्र बन जाओ, हमारा प्रियतम, हमारा सखा, स्वजन सहोदर बन जाओ, हमारा सर्वस्व बन जाओ, सवेश्वर बन जाओ। भक्तों की इस पुकार को श्रवण करके भगवान अवतरित होते हैं।

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यही है प्रीत भाव से विवश होकर अपने भक्तों के इशारे पर नाचने की प्रक्रिया। प्रेम के वशीभूत छछिया भर छाछ पर नृत्य करना। यह कैसे सम्भव है। जब तक ब्रज के एक-एक बच्चे का जीवन दूध-दही से सिंचित नहीं हो जाता तब तक दूध-दही नहीं बिकेगा। पहले वह उस हर बच्चे को उपलब्ध होना चाहिए, जिनके माता-पिता उसे खरीद नहीं सकते।

यह क्रान्ति करने वाले है हमारे श्याम सुन्दर। हां यदि कोई मटकी भरके दही  मथुरा की ओर बिकने चलेगी तो उस मटकी पर ढेला जरूर फेंका जायेगा। मटकी टूटेगी, मक्खन बहेगा, दही बहेगी, यह स्वीकार है, परन्तु जब तक सबकी भूख नहीं मिट जाती तब तक दही और मक्खन बिकना स्वीकार नहीं।

ऐसा सुन्दर भाव था श्री कृष्ण का, यही है भारत की धरती का भाव। श्याम के सुन्दर भाव जीवन का दर्शन कीजिए। उसी में सामाजिक समरसता का दर्शन होगा। आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें, बांके बिहारी आप सभी के जीवन को भी अभावों से दूर कर दें।

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