नई दिल्ली। देश में चीनी विपणन वर्ष 2022-23 के दौरान चीनी का उत्पादन 3.65 लाख टन के मुकाबले पांच फीसदी घटकर 340 लाख टन रहने का अनुमान है। इससे पिछले चीनी विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 358 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चीनी के उत्पादन में कमी की वजह इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में गन्ना शीरे का उपयोग किया जा रहा है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने ताजा अनुमान में यह जानकारी दी है।
उद्योग निकाय इस्मा ने मंगलवार को जारी एक बयान में बताया कि इथेनॉल के लिए 45 लाख टन शीरे का इस्तेमाल किए जाने की वजह से चीनी विपणन वर्ष 2022-23 में चीनी का उत्पादन लगभग 340 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले चीनी विपणन वर्ष 2021-22 में, पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण करने के मकसद से इथेनॉलल बनाने के लिए 32 लाख टन शीरे का उपयोग किया गया था। इस्मा के मुताबिक गन्ने के रस यानी सिरप और बी-शीरे को इथेनॉल बनाने में लगाया जा रहा है।
इस्मा ने चीनी विपणन वर्ष 2022-23 के लिए चीनी के उत्पादन का अपना दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है। महाराष्ट्र में वास्तविक चीनी का उत्पादन वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष के 137 लाख टन से घटकर 121 लाख टन रहने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पहले के 102 लाख टन से मामूली गिरावट के साथ 101 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि कर्नाटक में चीनी का उत्पादन 60 लाख टन से घटकर 56 लाख टन रहने का अनुमान है। उद्योग निकाय ने कटाई और शेष क्षेत्र की छवियों, क्षेत्र के दौरे, पैदावार की वर्तमान प्रवृत्ति और चीनी की प्राप्ति के आधार पर यह अनुमान जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने चालू चीनी विपणन वर्ष 2022-23 के लिए 61 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। देश ने पिछले चीनी विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 110 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। वहीं, पेट्रोल के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण पिछले वर्ष में 10 फीसदी रहा था, जबकि चालू चीनी विपणन वर्ष 2022-23 में इसका स्तर बढ़कर 12 फीसदी रहने की उम्मीद है।