Tuesday, October 22, 2024

नीट-यूजी सुधार रिपोर्ट के लिए सुप्रीमकोर्ट ने मानी केंद्र की गुहार, पेश करने का समय दो सप्ताह बढ़ाया

नयी दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की ओर से 05 मई 2024 को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अनियमितताओं की रिपोर्ट के बाद सुधारों से संबंधित रिपोर्ट लिए नियुक्त सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए दी गई समय सीमा सोमवार को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील सुनने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली इस समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय दिया।

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श्री मेहता ने दलील देते हुए कहा था कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट दाखिल करने की समय-सीमा समाप्त हो रही है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट लगभग पूरी हो चुकी है।

केन्द्र सरकार ने समिति को और समय देने के लिए दो अगस्त 2024 के अपने फैसले को संशोधित करने का शीर्ष अदालत से एक आवेदन के जरिए अनुरोध किया था।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले वंशिका यादव द्वारा दायर रिट याचिका में अपने फैसले में समिति के लिए (रिपोर्ट पेश करने के लिए) 30 सितंबर की समय सीमा तय की थी। इसके बाद उसने नीट की दोबारा परीक्षा कराने की याचिका को खारिज कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करते समय निष्पक्ष, निष्पक्ष और मजबूत प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय और कदम उठाने का निर्देश दो अगस्त को दिया था ताकि परीक्षा को पूरी तरह से पारदर्शी और कदाचार मुक्त बनाया जा सके।

अपनी याचिका में सरकार ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन और अनुसरण में समिति ने मौजूदा चुनौतियों, उच्च-स्तरीय परीक्षाओं के संचालन में जटिलताओं, संभावित जोखिमों और प्रक्रिया में शामिल सुरक्षा उपायों का मूल्यांकन करने के लिए 18 सितंबर 2024 तक 22 बैठकें कीं।

समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श भी किया। उन्हें छात्रों, अभिभावकों, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों आदि से 37,144 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं।

समिति ने परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों, राज्य सरकारों, पुलिस अधिकारियों, नियामक निकायों, शिक्षाविदों, छात्रों के प्रौद्योगिकी समाधान सलाहकारों, वैश्विक परीक्षण विशेषज्ञों आदि से मिलकर परामर्श किया।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि समिति को एक मजबूत परीक्षा प्रक्रिया के लिए सात चरणों को शामिल करना चाहिए। अदालत ने कहा था कि समिति को मूल्यांकन समिति, मानक संचालन प्रक्रिया, परीक्षा केंद्र आवंटित करने की प्रक्रिया की समीक्षा, बढ़ी हुई पहचान जांच के लिए प्रक्रिया, परीक्षा केंद्रों की सीसीटीवी निगरानी , कागजात में हेराफेरी न हो यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित लॉजिस्टिक प्रदाता और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र पर गौर करना चाहिए।

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