नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमलों के कथित फर्जी वीडियो प्रसारित करने के 18 अलग-अलग अपराधिक मामलों का सामना कर रहे यूट्यूबर मनीष कश्यप की प्राथमिकियों को एक जगह स्थानांतरित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत दर्ज मुकदमा हटाने की गुहार वाली उसकी याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कश्यप का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह से कहा,“आपके पास तमिलनाडु जैसा शांत राज्य है। आप उस राज्य में अशांति पैदा करने के लिए कुछ भी प्रसारित करते हैं।”
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने हालांकि, याचिकाकर्ता को इस मामले में निचली अदालत या उच्च न्यायालय में जाने की अनुमति दे दी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री सिंह ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) को दुर्भावनापूर्ण तरीके से लगाया गया है। उन्होंने कहा,“अगर इस लड़के को लगातार जेल में रहना पड़ा तो यह न्याय की गंभीर अनदेखी होगी।”
आरोपी के अधिवक्ता ने बिहार में 12 और तमिलनाडु में दर्ज सभी प्राथमिकियों को पटना स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की। इसके लिए उन्होंने यह दलील की कि कश्यप के खिलाफ पहला मामला पांच मार्च 2023 को ही दर्ज किया गया था।
पीठ पर इन दलीलों का कोई असर नहीं पड़ा। पीठ ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकती क्योंकि याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर फर्जी वीडियो बनाए थे।
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पत्रकार नहीं है और वह एक नेता था, जिसने चुनाव भी लड़ा था।
बिहार सरकार की ओर से दलील दी गई कि कश्यप एक आदतन अपराधी है और ‘जबरन वसूली’ करता है। उसके खिलाफ अन्य मामले भी हैं।
तमिलनाडु सरकार का पक्ष रखने वाले जोसेफ अरस्तू द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ हिरासत का आदेश कश्यप द्वारा फैलाए गए फर्जी वीडियो और अफवाहों की प्रकृति और दहशत पैदा करने और एक अस्थिर स्थिति पैदा करने में इसके प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद पारित किया गया था।
तमिलनाडु सरकार की ओर से कहा गया,“ उन्होंने ( कश्यप) झूठ और झूठ के माध्यम से समूहों के बीच वैमनस्य और असंतोष फैलाकर एक खतरनाक और विस्फोटक स्थिति पैदा करने और उसके बाद इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश की।”
तमिलनाडु सरकार ने कहा, “यहां राज्य के कारखानों में लगभग 10 लाख प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया गया। फर्जी वीडियो के माध्यम से अशांति पैदा करने की कोशिश बेहद खतरनाक थी।”