नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चार वर्षीय बच्चे की कस्टडी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया कि बच्चा अपनी मां निकिता सिंहानिया के पास रहेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने बच्चे की दादी अंजू देवी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने पोते की कस्टडी की मांग की थी।
इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंहानिया पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट में लिखा था कि उनके बेटे की कस्टडी उनकी मां अंजू देवी को दी जाए। इसी आधार पर अंजू देवी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बच्चे की कस्टडी की मांग की।
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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने यह मामला सुना। अदालत ने कहा कि बच्चे की भलाई और उसका भविष्य सबसे महत्वपूर्ण है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “दादी अंजू देवी शायद बच्चे के लिए अजनबी थीं, और वह उन्हें ठीक से पहचानता भी नहीं था।”
पीठ ने अपने फैसले में बच्चे की कस्टडी उसकी मां निकिता सिंहानिया को सौंपने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चे की भलाई के लिए यह फैसला लिया गया है।
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जजों ने बच्चे से वीडियो लिंक के माध्यम से बातचीत की। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “यह एक हैबियस कॉर्पस याचिका है। हम बच्चे को देखना और उससे बात करना चाहते हैं।”
इस बातचीत के दौरान कोर्ट ने गोपनीयता बनाए रखने के लिए वीडियो स्ट्रीमिंग बंद कर दी और बच्चे से निजी तौर पर बात की। बातचीत के बाद अदालत ने पाया कि बच्चा अपनी मां के साथ सुरक्षित और खुश है।
अंजू देवी की ओर से बच्चे की कस्टडी के लिए दी गई याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि बच्चे को अपनी मां के पास रहना चाहिए, क्योंकि मां का स्नेह और देखभाल बच्चे के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।