कोलकाता। पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स के अनशन पर सरकार और डॉक्टरों के बीच बुधवार देररात लंबी बैठक के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि सरकार का रवैया बेहद सख्त और असंवेदनशील है, जबकि सरकार इसे सकारात्मक बैठक बता रही है।
तीन घंटे की लंबी बातचीत के बाद भी जूनियर डॉक्टरों ने बैठक को “निष्फल” करार दिया और कहा कि उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। डॉक्टरों के प्रमुख प्रतिनिधि, देबाशीष हलदर ने भावुक होकर कहा, “हमने सरकार से कुछ ठोस उम्मीदें रखी थीं, लेकिन हमें केवल मौखिक आश्वासन दिए गए। सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह बैठक सिर्फ समय की बर्बादी थी।”
मुख्य सचिव मनोज पंत ने बैठक के बाद एक अलग बयान में इसे सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा, “सभी चर्चाएं हमेशा सकारात्मक होती हैं। हमने जूनियर डॉक्टरों से अनशन खत्म करने का अनुरोध किया और विश्वास है कि वह इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखेंगे।” जूनियर डॉक्टर, जो धर्मतला में अनशन पर बैठे हैं, स्वास्थ्य सचिव की बर्खास्तगी सहित 10 मांगें कर रहे हैं। अब तक उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने सिर्फ बातें कीं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई स्पष्ट व ठोस जवाब नहीं दिया गया।
देबाशीष हलदर ने कहा, “सरकार चाहती है कि हम दुर्गा पूजा के बाद मामले को देखें, लेकिन हमने साफ कह दिया है कि हम अनशन जारी रखेंगे। सरकार ने सिर्फ हमें बैठक के लिए बुलाकर समय बर्बाद किया। अगर वे चाहते हैं कि हम अनशन खत्म करें, तो वे खुद आकर अनशन मंच पर हमसे बात करें।” जूनियर डॉक्टर आशफाकुल्ला ने कहा, “स्वास्थ्य भवन में बुलाकर हमारा अपमान किया गया। उनके पास कोई कार्ययोजना नहीं थी। यह बैठक सिर्फ औपचारिकता थी। हमें सच से डर नहीं है, लेकिन झूठ हमें डराता है।”
सरकार और डॉक्टरों के बीच यह गतिरोध जारी है। जहां सरकार बैठक को सकारात्मक करार दे रही है, वहीं डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि वे बिना ठोस कदम उठाए अपना अनशन समाप्त नहीं करेंगे।