मेरठ। इतिहास विभाग स्थित वीर बंदा बैरागी सभागार में चल रहे 10 दिवसीय संस्कृत भाषा संवर्धन कार्यशाला का समापन समारोह संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि संस्कृत भारती मेरठ प्रांत और इतिहास विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वअवधान में 6 सितंबर से 18 सितंबर 2024 तक 10 दिवसीय संस्कृत भाषा संवर्धन कार्यशाला का आयोजन किया गया था। प्रतिदिन चलने वाले इस कार्यशाला में आज समापन के दिन समस्त कार्यक्रम संस्कृत भाषा में संपन्न हुए। प्रशिक्षुओं में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विघ्नेश कुमार ने अपना संभाषण संस्कृत में धारा प्रवाह बोलकर सबको आश्चर्य चकित कर दिया।
उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर को कोट करते हुए कहा कि संविधान सभा में संस्कृत भाषा के लिए पुरजोर आवाज उठाने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि इस राष्ट्र की यदि कोई राष्ट्रभाषा हो सकती है तो वह संस्कृत ही है और संस्कृत भाषा ही भारत को उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक जोड़कर रख सकने की सामर्थ्य रखती है। प्रोफेसर आलोक कुमार ने कहा की संस्कृत भाषा देव वाणी है इसके माध्यम से हम अपना गौरवशाली प्राचीन इतिहास और संस्कृति को जान सकते हैं। अध्यक्षता करते हुए इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के के शर्मा ने कहा कि वास्तव में संस्कृत ही हमारे वास्तविक अनुसंधान का आधार है अतः शर्मा ने इतिहास के क्षेत्र में अनुसंधान कर्ताओं का आह्वान किया कि वह आधिकारिक संख्या में संस्कृत भाषा सीखे ताकि अनुसंधान को भी ठोस आधार प्राप्त हो सके क्योंकि हमारे स्रोत का आधार संस्कृत ही है। प्रोफेसर एस एस गौरव ने संस्कृत भाषा के महत्व को रेखांकित किया।
प्रशिक्षों को धारा प्रवाह बोलते हुए सुनकर प्रोफेसर गौरव सहित सभी अतिथियों ने प्रशिक्षुओं सहित सभी को बधाई दी। इस अवसर पर 42 प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षुओं ने संस्कृत भाषा में ही लघु नाटिका, गीत और अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन भी संस्कृत भाषा में ही मनप्रीत कौर ने किया। इस कार्यशाला में प्रशिक्षण देने वाली डॉक्टर रक्षिता की सभी ने प्रशंसा की।इस अवसर पर सभी प्रशिक्षुओं सहित इतिहास विभाग के डॉ कुलदीप कुमार त्यागी, डॉक्टर योगेश कुमार,डॉ मनीष डॉ शालिनी, प्रज्ञा के अतिरिक्त संस्कृत भारती से प्रांत सह मंत्री डॉ संदीप कुमार डॉक्टर राजमणि मिश्रा डीआर रक्षित नीलकमल अजय कुमार उपस्थित रहे।