Thursday, December 5, 2024

देवबंद में नीलामी में खरीदी राइस मिल का बोलीदाता को नहीं मिला कब्जा, पीड़ित परिवार को एसीजेएम अदालत से 36 वर्ष बाद मिला न्याय

देवबंद (सहारनपुर)। एसीजेएम अदालत ने राइस मिल नीलामी के 36 वर्ष पुराने मामले में पीड़ित को न्याय देते हुए जिला अधिकारी व सेल टेक्स अधिकारी को पीड़ित को 90 हजार रूपये व 36 वर्ष का ब्याज एक माह में अदा करने के आदेश दिए है।

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सन् 1988 में सरकार द्वारा मार्डन राइस मिल नानौता की खुली बोली लगाकर नीलामी की गई थी, जिसमें रशीद खां पुत्र अब्दुल रहीम खां निवासी मौहल्ला अफगान नानौता ने 48 हजार रूपये बोली लगाकर मिल को खरीद लिया था। लेकिन सालों बीतने के बाद भी प्रशासन ने रशीद खां को मिल पर कब्जा नहीं दिलाया।

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इस दौरान रशीद खां की भी मृत्यु हो गई। सन् 2008 में रशीद खां की विधवा पत्नी वसीला व 11 बच्चों ने जिला अधिकारी सहारनपुर व सेल टैक्स अधिकारी देवबंद को प्रतिवादी बनाकर सिविल कोर्ट देवबंद में वाद दायर किया था। जिसकी सुनवाई एसीजेएम अदालत में चल रही थी। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद एसीजेएम परविंदर सिंह की अदालत ने कब्जा न दिलाने का कारण जिला प्रशासन की खामी माना।

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एसीजेएम ने जिलाधिकारी सहारनपुर व सेल टैक्स अधिकारी देवबंद को आगामी एक माह में वसीला खां व उनके बच्चों को 90 हजार की राशि व उस पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से 36 वर्षो का ब्याज अदा करने का आदेश दिया है। एक माह में धनराशि का भुगतान न होने पर 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से रकम पर ब्याज अदा करना पड़ेगा। सरकार को पैसे देने के बाद भी कब्जा न मिलने के कारण न्याय के लिए भटक रही वसीला खां व उनके बच्चों ने राहत की सांस ली है।

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