Friday, January 31, 2025

राम मंदिर आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले आचार्यों के नाम से होगी प्रवेश द्वारों की पहचान

अयोध्या। अयोध्या धाम में चतुर्दिशाओं से पहुंचने वाले मार्गों पर प्रस्तावित प्रवेश द्वारों के नाम इतिहास प्रसिद्ध प्रमुख आचार्यों के नाम पर रखे जाएंगे। अभी इन नामों पर अंतिम विचार किया जाना है। इसके अलावा राम नवमी से पूर्व पदवेश (जूता-चप्पल) स्थल सहित मन्दिर परिसर के भीतर की सड़कों और अठारह एकड़ में हरीतिका वीथी पर काम पूरा करने के लिए मार्च तक का समय तय किया गया है।

उक्त सभी प्रकरणों पर शनिवार को राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र के साथ श्री राम जन्मभूमि में तीर्थ क्षेत्र पदाधिकारियों, निर्माण एजेंसियों अधिकारियों के साथ बैठक के दूसरे दिन विस्तार से चर्चा हुई।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र ने बताया कि अयोध्या धाम को चारों दिशाओं से आने वाले मुख्य मार्गों पर कुछ सुविधाओं से युक्त बड़े प्रवेश द्वार बनने प्रस्तावित हैं। इन चारों द्वारों की पहचान इतिहास प्रसिद्ध प्रमुख आचार्यों के नाम से होगी। ये नाम आगे तय किए जाएंगे। इसके अलावा सत्तर एकड़ वाले मन्दिर परिसर में 40 एकड़ हरियाली के लिए समर्पित होगा। उसमें से अठारह एकड़ की हरीतिका वीथी मार्च तक तैयार हो जानी है। मन्दिर आने वाले श्रद्धालुओं के पदवेश रखने के लिए व्यवस्थित स्थान तैयार होना है। साथ ही परिसर के भीतर की लगभग तीन सौ मीटर सड़क को सुन्दरीकरण के साथ तैयार किया जाना है। सप्तऋषि मन्दिर पूर्ण होने पर इनके बीच एक मनोहारी पुष्करिणी (फूलों से भरी तलैया) निर्मित की जानी है।

डॉ मिश्र ने बताया कि बहुत से कार्य को पूर्ण करने की सीमा रामनवमी के दृष्टिगत ही मार्च तक रखी गई है।

निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने बताया कि अयोध्या में 500 साल के लम्बे संघर्ष के बाद राम मंदिर आकार ले चुका है। राम मंदिर आंदोलन में अयोध्या के वरिष्ठ साधु-संतों का भी अहम योगदान है। शायद यही वजह है कि साधु-संतों के सम्मान में ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर में बनने वाले चार गेटों का नाम साधु संतों के नाम पर रखने का फैसला लिया है।

उन्होंने बताया कि राम मंदिर परिसर में चार गेट का निर्माण किया जाएगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से हम लोगों ने निवेदन किया है कि इन सभी गेटों का नामकरण अयोध्या के वरिष्ठ साधु-संतों के नाम पर किया जाए। इसकी रूपरेखा जल्द ही तैयार की जाएगी।नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि राम मंदिर परिसर में 7 मंदिर ऋषियों-मुनियों के होंगे, उसके बीच में जलाशय बनाए जा रहे हैं। जलाशय निर्माण के लिए खुदाई चल रही है। जलाशय का डिजाइन, लम्बाई और गहराई कितनी होगी? पानी किस तरह से आएगा और किस तरह से पानी बदला जाएगा, अब इस पर मंथन होगा।

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