मुजफ्फरनगर। अधिकारी रिंकू सिंह राही की जनपद में जॉइंट मैजिस्ट्रेट के तौर पर पोस्टिंग हुई है। मुजफ्फरनगर में 2009 में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही ने शिक्षा माफिया का 100 करोड़ का घोटाला खोला था। लेकिन इसकी उन्हें बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी। उन पर जानलेवा हमला हुआ। लगभग अपंग हो गए। इसके बाद भी विरोध जारी रखा तो उन्हें पागलखाने तक जाना पड़ा। व्यवस्था से लड़ने के लिए उन्होंने आई आईएएस बनने की ठानी और 2022 में सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी हासिल की। अपने ऊपर हुए हमले के 15 वर्ष बाद पांच अप्रैल को जॉइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर रिंकू सिंह राही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग के लिए मुजफ्फरनगर पहुंचेंगे। 2004 बैच के पीएसीएस रिंकू सिंह राही पर 2009 में जानलेवा हमला किया गया। एक जानलेवा हमले में उन्हें सात गोलियां मारी गईं। एक गोली उनके चेहरे पर लगी, उनकी एक आंख की रोशनी जाती रही। जिंदगी और मौत से जूझकर जब वह वापस स्वस्थ होकर लौटे तो माफिया के खिलाफ जंग फिर से शुरू की।
उन्होंने कुछ सूचनाएं आरटीआई के जरिए मांगी जब नहीं मिलीं तो लखनऊ आकर निदेशालय के बाहर अनशन शुरू किया। अलीगढ़ के रहने वाले रिंकू सिंह राही ने यूपीएससी 2004 की परीक्षा पास की थी। उन्होंने साल 2008 में मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर जॉइन किया था। शुरुआत में रिंकू सिंह राही को वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए थे। जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए रिंकू सिंह राही को जब ट्रेनिंग के लिए ट्रेजरी भेजा गया तो उन्होंने वहां स्कॉलरशिप और फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर विभाग में किए जा रहे करोड़ों रुपए के घोटाले का पता किया।करीब 100 करोड़ गबन के सबूत जुटाए।
जांच के दौरान उन्होंने करीब 100 करोड़ के गबन के सुबूत जमा किए। कई बैंकों में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पदनाम से खोले गए फर्जी खाते पकड़े। इनमें शासन से आने वाले करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति के चेक जमा कर भुनाए जा रहे थे। रिंकू सिंह राही जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते पुराने प्लानिंग दफ्तर की सरकारी आवासीय कॉलोनी में रह रहे थे। 26 मार्च 2009 को वह एक सहकर्मी के साथ सुबह सात बजे बैडमिंटन खेल रहे थे। उन पर दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। रिंकू राही को सात गोलियां लगीं और उनका जबड़ा भी बाहर आ गया। उन्हें हायर सेंटर मेरठ ले जाया गया।
करीब एक महीने वह सुभारती मेडिकल कॉलेज मेरठ में भर्ती रहे। कई ऑपरेशन के बाद वह ठीक होकर लौटे।समाज कल्याण अधिकारी ललितपुर में पोस्टिंग के दौरान 2018 में उन्हें विभाग की देखरेख में चलने वाले स्कूल में शिक्षकों का शोषण करने के आरोप में आरोप पत्र दिया गया। हापुड़ में राजकीय आईएएस-पीसीएस कोचिंग सेंटर में मेस संचालन का ठेका जैम पोर्टल से लेने वाले ठेकेदार की शिकायत करने पर उन्हें फर्जी आरोप में फंसाने की कोशिश की गई।
आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते रिंकू सिंह राही पर 2009 में जानलेवा हमला हुआ था। इसके बाद घोटाला खोलने के लिए उन्होंने RTI के तहत विभाग से कुछ सूचनाएं मांगी थीं। लेकिन एक साल का समय बीत जाने के बावजूद उन्हें सूचनाएं नहीं दी गईं। इस पर 26 मार्च 2012 को रिंकू राही ने लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन शुरू कर दिया। पुलिस ने रिंकू राही को वहां से उठाकर मेंटल हास्पिटल लखनऊ भेज दिया था। रिंकू राही ने बताया कि एक दिन के बाद उन्हें वहां से अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। रिंकू सिंह राही ने शासन प्रशासन के सौतेले रवैये के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। सारे मामले को उन्होंने चुनौती के तौर पर लिया। इसके बाद दो वर्ष पूर्व उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 921वीं रैंक हासिल की है। वह दलित हैं। उनके संघर्ष की कहानी प्रेरणा देती है। उत्तर प्रदेश संवर्ग में वर्ष 2023 बैच के तौर से आइएएस की ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में पूरी करने पर उन्हें जनपद प्रशिक्षण के लिए तीन माह के लिए उसी मुजफ्फरनगर भेजने का आदेश जारी किया गया है।