कोलकाता | पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी जेल में बंद हैं। प्रेसीडेंसी विशेष सुधार गृह के अधीक्षक देबाशीष चक्रवर्ती ने चटर्जी को उंगलियों में अंगूठियां पहनने की इजाजत दी, जिसको लेकर विशेष अदालत ने उन्हें फटकार लगाई।
जेल अधीक्षक चक्रवर्ती इस मामले में अपना स्पष्टीकरण देने के लिए अदालत में पेश हुए थे, क्योंकि हिरासत में अंगूठी पहनना जेल संहिता के खिलाफ है। अपने बचाव में चक्रवर्ती ने कहा कि चूंकि चटर्जी की उंगलियां सूज गई थीं, इसलिए अंगूठियां नहीं निकाली जा सकीं। इस स्पष्टीकरण से न्यायाधीश और भी चिढ़ गए। न्यायाधीश ने कहा, जो नौ महीने में संभव नहीं था, वह अदालत के आदेश के बाद नौ मिनट में संभव हो गया। यह कैसे संभव है?
न्यायाधीश ने जेल के रजिस्ट्रार से भी पूछताछ की और अधीक्षक से इस मामले में अपना स्पष्टीकरण लिखित में देने को कहा है। न्यायाधीश ने चक्रवर्ती से पूछा, क्या आप सुधारात्मक गृह नियमों का अपना सेट, सेट कर रहे हैं और उन्हें सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।
19 अप्रैल को एक सुनवाई के दौरान, ईडी के वकील ने चटर्जी पर न्यायिक हिरासत में होने के बावजूद अंगूठियां पहनने की ओर इशारा करते हुए दावा किया था कि इससे पता चलता है कि चटर्जी कितने प्रभावशाली थे। चटर्जी ने तब कहा था कि वह स्वास्थ्य और धार्मिक उद्देश्यों के लिए अंगूठी पहनते हैं, जिसे अधिकारियों ने न्यायिक हिरासत में रहने के बाद से कभी भी उतारने के लिए नहीं कहा।
ईडी के वकील फिरोज एडुल्जी ने अदालत में दावा किया कि जेल अधीक्षक पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। वकील ने कहा, पहले के एक मामले में उन पर 20,000 रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया गया था।
पश्चिम बंगाल जेल संहिता के नियम 250 के अनुसार, अधीक्षक को यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी कैदी न तो कोई आभूषण पहने और न ही नकदी सहित कोई कीमती सामान ले जाए।