वाराणसी ज्ञानवापी के मूल 32 साल पुराने मामले में बुधवार को सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। ज्ञानवापी से जुड़े वर्ष 1991 के लार्ड विश्वेश्वर वाद में वादी पक्ष ने न्यायालय में अपना पक्ष रखा।
इसमें वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से जवाबी दलील दी गई। इससे पहले की तिथियों में हुई सुनवाई में वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता तथा अंजुमन इंतजामिया कमेटी और वादमित्र की ओर से बहस की जा चुकी है। न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथी 19 अक्टूबर नीयत की है।
इस दिन अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता पक्ष रखेंगे। इसके बाद अदालत जवाबी दलील के बाद पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित कर सकती है। वर्ष 1991 के लार्ड विश्वेश्वर वाद में वादी हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी के सेंट्रल डोम के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया था। वादी पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के बचे शेष स्थल का खुदाई करा कर एएसआई सर्वे कराने की मांग अदालत से वाद के जरिए की है।
प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने खुदाई करा कर एएसआई सर्वे कराने का विरोध अदालत में किया है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता 19 अक्टूबर को हिन्दू पक्ष के तर्क के विरोध में अपनी दलील देंगे।
गौरतलब हो कि वर्ष 1991 में अधिवक्ता दान बहादुर, सोमनाथ व्यास, डॉक्टर रामरंग शर्मा, हरिहर पाण्डेय ने वाद दाखिल किया था। सुनवाई के बीच 1998 में प्रतिपक्ष ने हाईकोर्ट जाकर मामले में स्टे ले लिया। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश के बाद स्टे प्रभावहीन होने पर वर्ष 2019 में हिन्दू पक्ष ने फिर एएसआई सर्वे की मांग रखी।