लखनऊ/प्रयागराज- उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा अब किसी भी समय हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित पिछड़े वर्ग आयोग की रिपोर्ट में आरक्षण सूची पर लगाई गई आपत्तियों पर शुक्रवार देर रात तक नगर विकास विभाग आपत्तियों का निस्तारण करने में जुटा हुआ था। उम्मीद है कि आज शनिवार या कल रविवार तक आरक्षण की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी जाएगी जिसके तत्काल बाद ही निकाय चुनाव की अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी। इसलिए अब किसी भी समय चुनाव का बिगुल बज जायेगा।
आपको बता दें कि नगर विकास विभाग ने नगरीय निकायों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना 30 मार्च को जारी करते हुए 7 दिन में आपत्तियां मांगी थी ,6 अप्रैल तक यह आपत्तियां स्वीकार की गई हैं,अब इनका निस्तारण किया जा रहा है। शुक्रवार को गुड फ्राइडे का अवकाश होने के बावजूद भी पूरे प्रदेश में निकाय चुनाव के कार्यालय खुले रहे और अधिकारी देर रात तक आरक्षण पर आई आपत्तियों का निस्तारण करते रहे।
माना जा रहा है कि आज शनिवार या अधिकतम रविवार को आरक्षण की अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी जिसके तत्काल बाद चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार पहले ही कह चुके हैं कि आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन होते ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर दाखिल की गई आपत्तियों को निस्तारित करने का सरकार को निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसको लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने के लिए अगले महीने 15 मई की तिथि तय की है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से दाखिल इन याचिकाओं में सरकार द्वारा 30 मार्च को जारी अधिसूचना को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने चुनाव पर फ़िलहाल कोई रोक लगाने से भी इंकार कर दिया है।
यह आदेश चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर एवं जस्टिस एसडी सिंह की खंडपीठ ने कानपुर के अभिनव त्रिपाठी की याचिका पर पारित किया है। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची ने 30 मार्च को जारी अधिसूचना के खिलाफ आपत्ति 6 अप्रैल को सरकार को भेज दी है परंतु उसकी आपत्ति पर विचार नहीं हो रहा है।
प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पान्डेय ने सरकार की तरफ से प्रतिवाद किया और कहा कि सरकार 6 अप्रैल की शाम तक सभी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। सरकार की तरफ से कहा गया कि अधिसूचना में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। कहा गया कि अधिसूचना को चुनौती देने का कोई आधार नहीं है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्देश दिया है कि सरकार 6 अप्रैल तक प्राप्त सभी आपत्तियों को कानून के मुताबिक उसका निस्तारण करें। कोर्ट इस मामले पर अब अगले माह 15 मई को सुनवाई करेगी। जिसके बाद चुनाव को लेकर सभी अटकलें समाप्त हो गयी है और सरकार ने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।