प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्रांडेड कम्पनियों की अस्वीकृत नमकीन को जानवरों के चारे के नाम पर नीलामी लेकर कुछ नई नमकीन के साथ मिलाकर खुले बाजार में मानव उपयोग के लिए बेचने को स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक माना है। केंद्र व राज्य सरकार से ऐसी नमकीन बनाने व आपूर्ति करने में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में हलफनामा मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिड़ला तथा न्यायमूर्ति ए के सिंह देशवाल की खंडपीठ ने स्वतःकायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नमकीन खुले बाजार में बेचने की गम्भीरता को देखते हुए भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय, खाद्य एवं लोक वितरण नई दिल्ली को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है और अपर सालिसिटर जनरल को अगली तिथि पर केंद्र सरकार द्वारा इस सम्बंध में की गई कार्रवाई रिपोर्ट के साथ उपस्थित रहने का अनुरोध किया है।
राज्य सरकार के अपर शासकीय अधिवक्ता ने खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी कानपुर, बरेली व कमिश्नर खाद्य एवं आपूर्ति, ड्रग प्रशासन उप्र लखनऊ के पिछले आदेश का अनुपालन हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति उप्र लखनऊ का इस सम्बंध में की गई कार्रवाई का हलफनामा मांगा है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी ने अर्जी देकर कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। कोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार कर उन्हें डाटा सहित पक्ष रखने को कहा है।
मालूम हो कि ब्रांडेड कम्पनियों की जो नमकीन अस्वीकार कर दी जाती है तो वे उन्हें जानवरों के चारे के लिए नीलाम करती हैं। इसी नमकीन को खरीद कर दूसरी नमकीन मिलाकर जानवरों के बजाय मनुष्यों के लिए पैकिंग कर नमकीन बाजार में बेची जा रही है। जिसे कोर्ट ने मानव उपयोग के लायक नहीं माना और कहा कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कोर्ट ने जनहित याचिका का दायरा बढ़ाते हुए कहा कि यह कुछ जिलों नहीं पूरे देश का विषय है। इसलिए भारत सरकार इस काम में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे और कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कार्रवाई की जानकारी दे। जनहित याचिका की अगली सुनवाई 20 सितम्बर को होगी।