नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उसके समाधान के लिए बौद्ध दर्शन को प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि विश्व को सुखी बनाने के लिए ‘स्व’ से ऊपर उठकर काम करना होगा। समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को राजधानी स्थित अशोक होटल में वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए। इस दौरान दुनियाभर से आए बौद्ध धर्मावलंबियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमने भगवान बुद्ध के मूल्यों का निरंतर प्रसार किया है। भारत विश्व के हर मानव के दुख को अपना दुख समझता है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर एक बोध हैं। बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं। बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध की चेतना चिरंतर और निरंतर है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) 20-21 अप्रैल को दिल्ली में प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में मानवता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करना और इसी परिप्रेक्ष्य में उसका समाधान है।
शिखर सम्मेलन का विषय ‘रिस्पांस टू कांटेंपरी चैलेंजेस फ्राम फिलॉसफी टू प्रैक्सिस’ है। इसमें दुनियाभर के प्रख्यात विद्वान, संघ नेता और धर्म के अनुयायी वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बुद्ध धर्म के दृष्टिकोण से सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे।
इसमें बुद्ध धर्म और शांति, पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण तथा बुद्ध धर्म तीर्थयात्रा, जीवित विरासत और बुद्ध अवशेष जैसे विषयों पर विचार किया जाएगा।
सम्मेलन में लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। करीब 173 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं, जिनमें 84 संघ सदस्य हैं।