मेरठ। नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में आज शुक्रवार को 20 कॉलोनियों के हस्तांतरण, गृहकर, कूड़ा निस्तारण और हाईकोर्ट में केस की कमजोर पैरवी का मामला गूंजा। कार्यकारिणी के सदस्यों का निगम अधिकारियों को जवाब देना होगा। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी न होने और शहर में विकास कार्य न कराने की समस्या उठेगी। पार्षदों ने रणनीति तैयार कर ली है।
पार्षदों का कहना है कि महानगर में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। गृहकर, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर रोजाना निगम में पार्षदों और निगम के अधिकारियों की बीच बहस होती है। निगम ने जीआईएस सर्वे के आधार पर नया गृहकर लगाकर नोटिस भेज का अभियान चलाया हुआ है। इससे पार्षदों में आक्रोश है। भाजपा पार्षदों का कहना कि नगर निगम अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन नहीं कराया और न ही निगम के सदन में इसका प्रस्ताव रखा। अपने मनमर्जी से गृहकर लागू कर दिया, जिसको कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं होने पर लोगों में आक्रोश है।
मेरठ विकास प्राधिकरण ने 20 कॉलोनियां निगम को हस्तांतरित कर दीं, जिसमें करोड़ों रुपये का कार्य होना है। हस्तांतरण करने से पहले निगम और मेडा के अधिकारियों की ज्वाइंट कमेटी गठित होनी चाहिए थी। भौतिक सत्यापन के बाद ही उक्त कॉलोनियों को हस्तांतरण कराना चाहिए था। पैसा मेरठ विकास प्राधिकरण और बिल्डर ने कमाया है। खर्च नगर निगम क्यों करेगा। यह मामला भी कार्यकारिणी बैठक में उठना तय हो गया।