मऊ/गाजीपुर- उत्तर प्रदेश में मऊ जिले की घोसी लोकसभा व गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र समेत पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में भले ही स्वर्गीय कल्पनाथ राय व कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर मनोज सिन्हा के परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा हो, लेकिन सभी पार्टियों के मंचों पर इन दोनों नेताओं के नाम लगातार गूंज रहे हैं।
हालात यह है कि झंडा, बैनर, पोस्टर या मंच चाहे किसी पार्टी का हो लेकिन बगैर इन दोनों नेताओं का नाम लिए भाषण समाप्त नहीं हो पा रहा है। इसका कारण इन दोनों नेताओं द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में किए गए तमाम विकास कार्य बताए जा रहे हैं जिसके वजह से एक तरफ जहां कल्पनाथ राय के निधन के दशकों बाद भी उन्हें विकास पुरुष के नाम से याद किया जाता है। वहीं 2014 से 2019 के बीच अपने कार्यकाल के दौरान मनोज सिन्हा पूर्वांचल के नए विकास पुरुष साबित होते नजर आए थे ।
गौरतलब है कि पूर्वांचल के घोसी, गाज़ीपुर, बलिया सलेमपुर सहित विभिन्न जनपदों में अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव का मतदान होना है। लिहाजा अब यहां चुनाव प्रचार काफी जोर पकड़ चुका है। प्रत्याशियों द्वारा जनसंपर्क कार्यक्रम के साथ-साथ ही नुक्कड़ सभा के कार्यक्रम भी काफी तेज हो रहे हैं। वहीं बड़े नेताओं की बड़ी जनसभा भी होने लगी है।
मऊ जिले के घोसी लोकसभा व गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र सहित अगल-बगल के क्षेत्रों की बात करें तो आज भी यहां नुक्कड़ सभाओं व जनसंपर्कों के दौरान घोसी से पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व कल्पनाथ राय के विकास का उदाहरण देते हुए उनके जैसा ही कार्य कराए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। वहीं पूर्वांचल के नए विकास पुरुष बनकर उभरे मनोज सिन्हा के कार्यों का भी खूब उदाहरण दिया जा रहा है।
घोसी लोकसभा से सांसद स्वर्गीय कल्पनाथ राय कांग्रेस सरकार में विभिन्न विभागों के केंद्रीय मंत्री रहे। जिन्होंने आजमगढ़ जनपद से निकालकर मऊ को एक जनपद घोषित कराया। इसके साथ ही यहां दूरदर्शन केंद्र, आकाशवाणी केंद्र, सूक्ष्म जीव व कृषि अनुसंधान केंद्र, नवोदय विद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेज सहित विकास की एक श्रृंखला खड़ी कर दी। कल्पनाथ राय के विकास कार्यों का आज भी उदाहरण दिया जाता है।
वहीं 2014 में गाजीपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए मनोज सिन्हा मोदी सरकार ने उस दौरान रेल राज्य मंत्री व संचार मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी संभालते हुए गाजीपुर, मऊ, बलिया, देवरिया, सलेमपुर में रेलवे की तमाम परियोजनाओं सहित अन्य विकास कार्य करवाए। अपने संपर्कों और संबंधों के आधार पर फोर लेन सड़क से लगायत तमाम बड़ी-बड़ी परियोजनाएं मनोज सिन्हा पूर्वांचल में ले आए। जिसमें 1952 से लंबित गाजीपुर ताड़ीघाट रेल परियोजना भी शामिल रही। हालांकि उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव 2024 में स्व. कल्पनाथ राय के परिवार से कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ रहा है। वहीं मनोज सिन्हा भी संवैधानिक पद पर होते हुए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, नहीं उनके घर से कोई सदस्य चुनाव लड़ रहा है। उसके बावजूद पूर्वांचल के इन विभिन्न जनपदों में इन दोनों नेताओं का नाम लेकर सभी दलों द्वारा विकास का उदाहरण दिया जा रहा है। एक तरफ जहां कल्पनाथ राय के विकास कार्यों को याद किया जा रहा है वही मनोज सिन्हा के कार्यों के बदले 19 के चुनाव में हार की भी जोरदार चर्चा की जा रही है। फिलहाल यह चुनाव किस माथे बैठेगा यह तो नहीं पता, लेकिन इन दोनों नेताओं का नाम लिए बगैर किसी भी पार्टी की जनसभा समाप्त नहीं हो पा रही है।